Ganesh ji & Shubh-Labh relation : हिन्दू धर्म में गणेश जी की विशेष मान्यता है। बुधवार को तो खासतौर पर भगवान गणेश की विधि-विधान से विशेष पूजा-अर्चना की जाती हैं। मान्यता के अनुसार गणेश जी के आशीर्वाद से भक्तों के सभी दुख-दर्द, सकंट, रोग-दोष, बाधा और दरिद्रता दूर होती है और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है। कोई भी शुभ कार्य करने से पहले भी भगवान गणेश की आराधन की जाती हैं। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश को रिद्धि-सिद्धि के दाता और शुभ-लाभ के प्रदाता माना जाता है।
हिन्दू परिवार के ज्यादातर घरों के मुख्य दरवाजे के बाहर शुभ-लाभ लिखा जाता हैं। लेकिन क्या आपको पता है कि ये क्यों लिखते है और इसका भगवान गणेश से क्या संबंध है। आज हम आपको इस आर्टिकल में गणेश जी और शुभ-लाभ के बीच के संबंध (Ganesh ji & Shubh-Labh relation) के बारें में बताएंगे।
गणेश जी के पुत्र हैं शुभ-लाभ
आपको बता दें कि भगवान गणेश जी की शादी ऋद्धि और सिद्धि नामक दो कन्याओं से हुई है। रिद्धि शब्द का मतलब होता है- ‘बुद्धि’, जिसे हिंदी में ‘शुभ’ कहा जाता हैं। जबकि सिद्धी शब्द का अर्थ होता है ‘आध्यात्मिक शक्ति’ की पूर्णता अर्थात ‘लाभ’। गणेश जी (Ganesh ji & Shubh-Labh relation) को सिद्धि से ‘क्षेम’ और ऋद्धि से ‘लाभ’ नामक दो पुत्र हुए। जिन्हें लोक-परंपरा में शुभ-लाभ के नाम से जाना जाता हैं। गणेश पुराण में शुभ-लाभ को केशं और लाभ के नाम से भी जाना जाता हैं।
हिन्दू परिवारों के अधिकांश घरों के दरवाजे के बाहर स्वास्तिक के साथ-साथ शुभ-लाभ भी लिखा जाता है। बता दें कि स्वास्तिक की अलग-अलग दोनों रेखाएं भगवान गणपति जी (Ganesh ji & Shubh-Labh relation) की पत्नी रिद्धि-सिद्धि को दर्शाती हैं। जबकि शुभ-लाभ गणेश जी के दोनों पुत्रों को दर्शाता है। दरवाजे पर ‘स्वास्तिक’ मध्य में रहता है। जबकि शुभ बाई और लाभ दाएं तरफ लिखा जाता है। शास्त्रों के मुताबिक घर के बाहर दरवाजे पर शुभ-लाभ लिखने से परिवार में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहती हैं। लाभ लिखने का अर्थ है कि हम भगवान से प्रार्थना करते है कि हमारे घर की आय हमेशा बढ़ती जाए और परिवार को हमेशा लाभ हो।
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