यूट्यूबर Manish Kashyap की बढ़ी मुश्किलें: तमिलनाडु पुलिस ने लगाया NSA, 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत

youtuber manish kashyap

यूट्यूबर मनीष कश्यप की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही। कश्यप के पास तमिलनाडु में बड़ी कार्रवाई की गई है। यूट्यूबर पर नेशनल सिक्योरिटी एक्ट (NSA) लगा हुआ है। यहां आपको बता दें कि मनीष कश्यप पर फेक वीडियो पोस्ट करने का आरोप लगा है, जिसको लेकर ही उन्हें गिरफ्तार किया गया। ये मामला तमिलनाडु में बिहार के प्रवासी मजदूरों पर कथित हमले से जुड़ा है। आरोप है कि कथित हमले के फर्जी वीडियो मनीष कश्यप ने शेयर किए थे।

सुप्रीम कोर्ट में लगाई याचिका

इस मामले में यूट्यूबर मनीष को मदुरै कोर्ट ने 19 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में भेजा है। इससे पहले कोर्ट ने मनीष को पुलिस कस्टडी में भेजा था। इस बीच यूट्यूबर की ओर से सुप्रीम कोर्ट में भी अर्जी लगाई है कि उनके खिलाफ अलग-अलग राज्यों में दर्ज FIR को एक साथ क्लब किया जाए। आपको बता दें कि मनीष मूल रूप से बिहार के रहने वाले हैं। इस मामले में मनीष पर तमिलनाडु और बिहार पुलिस दोनों ने ही FIR दर्ज की है।

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18 मार्च को मनीष ने सरेंडर किया था, जिसके बाद बिहार पुलिस ने कस्टडी में लेकर उनसे पूछताछ की। फिर तमिलनाडु पुलिस की टीम कोर्ट से प्रोडक्शन वारंट लेकर मनीष को पटना से लेने गई। यहां मदुरै कोर्ट में पेशी के बाद पुलिस को तीन दिन की रिमांड मिली थी। इस दौरान पुलिस ने मनीष से पूछताछ की थी। बाद में कोर्ट ने 19 अप्रैल तक मनीष को न्यायिक हिरासत में भेज दिया। बिहार पुलिस ने मनीष कश्यप के बैंक खातों में जमा राशि को फ्रीज कर दिया है। बता दें कि इसमें कुल 42.11 लाख रुपये की राशि थी।

क्या है NSA? 

NSA की बात करें तो ये देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक शक्ति देने से जुड़ा कानून है। इस कानून के अंतर्गत केंद्र और राज्य दोनों सरकार को किसी भी संदिग्ध नागरिक को हिरासत में लेने की शक्ति मिलती है। NSA के तहत किसी भी संदिग्ध व्यक्ति को बिना किसी आरोप के 12 महीने तक जेल में रखा जा सकता है। इसके लिए राज्य सरकार को यह सूचित करने की आवश्यकता है कि NSA के तहत एक व्यक्ति को हिरासत में लिया गया है। वहीं हिरासत में लिए व्यक्ति को उनके खिलाफ आरोप तय किए बिना 10 दिनों के लिए रखा जा सकता है। हिरासत में लिया गया व्यक्ति उच्च न्यायालय के सलाहकार बोर्ड के समक्ष अपील कर सकता है, लेकिन उसे मुकदमे के दौरान वकील की अनुमति नहीं है।

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