संसद का शीतकालीन सत्र शुरू, मीडिया से मुखातिब हुए पीएम मोदी

PM MODI

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संसद का शीतकालीन सत्र आज से यानी 7 दिसंबर से शुरू हो गया है। इस सत्र में कुल 17 कार्य दिवस होंगे। यह 7 दिसंबर से 29 दिसंबर तक चलेगा। इसमें केंद्र सरकार संसद में 16 अहम बिलो को पेश करेगी। शीतकालीन सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद पहँचकर मीडिया को संबोधित किया। पीएम ने कहा कि आज सत्र का पहला दिन है। यह सत्र इसलिए महत्वपूर्ण क्योंकि 15 अगस्त के पहले हम मिले थे, 15 अगस्त को आजादी का अमृत महोत्सव पूरा हुआ और हम अमृत काल में आगे बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि हम एक ऐसे समय में हम मिल रहे है, जब हमारे देश को जी-20 (G20 )की मेज़बानी करने का अवसर मिला है।

 

पीएम मोदी ने कहा कि यह सिर्फ एक कूटनीतिक कार्यक्रम नहीं है बल्कि भारत के सामार्थ्य को विश्व के सामने प्रस्तुत करने का बड़ा अवसर है। उन्होंने यह भी कहा कि, इतना बड़ा देश जो लोकतंत्र की जननी, इतनी विविधता, इतनी क्षमता से भरपूर है। अब दुनिया भर में अपनी क्षमता को दिखने का मौका इसे प्राप्त हुआ है। जिस प्रकार से भारत वैश्विक मंच पर अपनी भागीदारी बढ़ाता जा रहा है ऐसे समय में #G20 की मेज़बानी भारत को मिलना एक बहुत बड़ा अवसर है।

 

पीएम ने कहा- मैं सभी पार्टी के लीडर और फ्लोर लीडर से आग्रह करना चाहता हूं कि जो पहली बार सदन में आए, जो नए सांसद हैं उनके उज्जवल भविष्य की और लोकतंत्र की भावी पीढ़ी को तैयार करने के लिए हम ज़्यादा से ज़्यादा अवसर उन सभी को चर्चा का अवसर दें।

 

पीएम मोदी ने कहा कि मैं समझता हूं कि विपक्ष के जो सांसद हैं उनका भी यही कहना है कि सांसदों से जब भी अनौपचारिक मुलाकातें हुई है सदन में शोर-शराबे के कारण सदन स्थगित हो जाता है। उन्हें बोलने का मौका नहीं मिलता है जिससे हमें काफी नुकसान होता है। युवा सांसदों का कहना है कि सदन न चलने के कारण हम जो सीखना चाहते हैं वो सीख नहीं पाते हैं।

 

संसद सत्र शुरू होने पहले उन्होंने कहा कि इस सत्र में देश को विकास की नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए वर्तमान वैश्विक परिस्थितियों में भारत को आगे बढ़ाने के नए अवसरों को ध्यान में रखते हुए कई महत्वपूर्ण निर्णय करने का प्रयास होगा।

पीएम मोदी ने की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की तारीफ

आज पहली बार महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के रूप में देश की गौरवशाली आदिवासी विरासत हमारा मार्गदर्शन कर रही है। इसके पहले भी रामनाथ कोविंद जी वंचित समाज से निकलकर देश के सर्वोच्च पद पर बैठे थे।
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