Rajasthan Assembly Election : ” राजस्थान में क्या इस बार नहीं चलेगा अशोक गहलोत का जादू ? ” – डॉ. राजन चोपड़ा

Rajasthan Assembly Election

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Rajasthan Assembly Election : राजस्थान में कुछ ही दिनों बाद विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। यह चुनाव बदलाव के लिए होगा और राजस्थान की जनता बदलाव के लिए तैयार दिख रही है। यह बदलाव राजस्थान की भविष्य को तय करने वाला है। वर्तमान में जो राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार है उसने कई मौकों पर प्रदेश की जनता को निराश किया है। लोगों में निराशा ऐसी है कि उसे बयां कर पाना मुश्किल है। जनता कह रही है कि जब से राजस्थान में कांग्रेस की सरकार आई राजस्थान का बंटाधार हो गया है। राजस्थान में जनता त्राहिमाम कर रही है क्योंकि राजस्थान की छवि जिस प्रकार की है उसे इस स्थिति में रख पाने में कांग्रेस शासित अशोक गहलोत सरकार नाकाम रही है।

 

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राजस्थान में बदलाव की बात की जा रही है। यह बदलाव होगा या नहीं इस बारे में अभी तो कुछ नहीं कहा जा सकता लेकिन सूत्र बताते हैं की जनता का मूड कुछ ऐसा ही है। राजस्थान में हाल ही में सामने आई महिलाओं के ऊपर अत्याचार इस बात की गवाही देते हैं कि राजस्थान में महिलाओं के साथ कितना जुल्म हो रहा है। राजस्थान में अपराधी घटनाओं में भी पुरजोर तेजी देखी गई है जिससे राजस्थान में न्याय व्यवस्था पर भी सवाल उठता है। अशोक गहलोत सरकार भले ही लाख दावे क्यों ना करें पर स्थित क्या है यह तो जानता ही जानती है। बीच-बीच में यह उजागर होता भी रहता है लेकिन इसे दबाने की पुरजोर कोशिश होती है। पर वो कहते हैं की सच्चाई को जितना भी दबाया जाए लेकिन सच्चाई दबाती नहीं है।

 

 

आजकल सोशल मीडिया का जमाना है और आजकल कुछ भी नहीं छुपा सकता। जनता अब पहले की तरह नेताओं की बात में नहीं आती और सब देखकर और सोच समझकर ही फैसला लेती है। जनता जानती है कि क्या हो रहा है। राजनीति के जानकार बताते हैं कि यही कारण है कि राजस्थान में कांग्रेस की चुनावी रैलियां में कुर्सियां खाली दिख रही हैं। चुनावी जनसभाओं में लोग नहीं पहुंच रहे है और इससे कांग्रेस के अंदर राजस्थान विधानसबा चुनाव को लेकर हलचल का माहौल बताया जा रहा है। राजस्थान में सीएम अशोक गहलोत मुख्यमंत्री हैं लेकिन राजस्थान में कांग्रेस समर्थित युवाओं की पसंद सचिन पायलट है। सचिन पायलट राजस्थान के सीएम बनने की रेस में कब से हैं लेकिन कांग्रेस में गुणी और अच्छे व्यक्तियों को पद कहां मिल पाता है। यही बात राजस्थान में सटीक बैठती है।

 

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राजस्थान में पिछले पांच सरकार में जिस प्रकार का राजनीतिक घटनाक्रम भी देखने को मिला है वह दर्शाता है कि यह पार्टी अंदर ही अंदर राजनीतिक क्लेश और दो गुटों में बटी हुई है। यही कारण है कि इस बार राजस्थान में बदलाव की बात की जा रही है। भाजपा इसका पूरा मौका उठाना चाहती है। राजस्थान में कांग्रेस के विधायक आए दिन चर्चा का केंद्र बने ही रहते हैं। राजस्थान में बिजली सबसे महंगी है और पेट्रोल भी सबसे महंगा है लेकिन राजस्थान में अपनी लूटने में कांग्रेस पीछे नहीं रहती है। हाल ही के दिनों में जो घटनाएं कांग्रेस शासित राज्य राजस्थान में हुई है उसे बयां कर पाना मुश्किल है। राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार के मामले इतनी बढ़ गए हैं कि हर दिन सोशल मीडिया पर एक न एक वीडियो राजस्थान से सामने आ ही जाता है जिसमें दिखता है कि राजस्थान में महिलाओं पर अत्याचार होने के बाद प्रशासन ना के बराबर ही कार्रवाई करती है। बताया जाता है कि इन सबसे जनता परेशान है।

 

राजस्थान में एक बार फिर से बदलाव की बात की जा रही है। यह बदलाव होगा या नहीं यह तो समय ही बताएगा लेकिन राजस्थान में इस बार कांग्रेस की सरकार का फिर से सत्ता में आना मुश्किल सा लगता है। इसके कई अन्य राजनीतिक कारण भी हैं और इसके पीछे लोगों का गुस्सा भी है। आम जनता अब राजस्थान सरकार से ऊब चुकी है ऐसा राजनीतिक विश्लेषक बताते हैं। अशोक गहलोत अपने जीत के दावे ठोकने से पीछे नहीं हट रहें है पर उनकी ये मजबूरी भी है क्योकि अगर वो पहले ही अपनी हार मान बैठेंगे तो फिर कैसे होगा। अब राजनीति के जादूगर के नाम से मशहूर राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत की बातों में कितना दम है यह समय ही बताएगा लेकिन सचिन पायलट और अशोक गहलोत की लड़ाई में राजस्थान कांग्रेस के अंदर की कलह से तो अब राजस्थान और देश की जनता भी वाकिफ हो चुकी है। कहीं इसका खामियाज़ा कांग्रेस को न उठाना पड़ जाए।

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