2024 चुनाव: एकजुट होकर भी विपक्ष के लिए पीएम मोदी को चुनौती दे पाना क्यों है मुश्किल?

modi vs opposition

लोकसभा चुनाव में अभी काफी समय बाकी है, लेकिन सभी राजनीतिक दल अभी से मिशन 2024 के मोड में उतर चुके हैं। एक तरफ BJP केंद्र की सत्ता में हैट्रिक लगाने की तैयारी में जुटी है तो वहीं पूरे विपक्ष का ही एक ही एजेंडा है, नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकना। इसके लिए काफी समय से विपक्ष एकजुट होने की पूरी कोशिश कर रहा है। विपक्ष के तमाम नेताओं जैसे नीतीश कुमार, अरविंद केजरीवाल, ममता बनर्जी, मल्लिकार्जुन खड़गे के बीच मुलाकातों और बैठकों का सिलसिला जारी है। वहीं कर्नाटक चुनाव में तो कांग्रेस ने जिस तरह से शानदार जीत हासिल की, उससे विपक्ष को एक नई ऊर्जा ही मिल गई है। विपक्षी दल पीएम मोदी को हटाने के लिए बेचैन हैं, लेकिन मोदी का विकल्प चुनना इतना आसान भी नहीं है।

कर्नाटक में तो भले ही कांग्रेस बड़ी जीत हासिल करके खुश हो। लेकिन कर्नाटक में विधानसभा चुनाव के नतीजों का अगले आम चुनाव पर असर होगा ये कहना बेहद ही मुश्किल है। कांग्रेस या फिर विपक्ष को ये नहीं सोचना चाहिए कि क्योंकि कर्नाटक में BJP बुरी तरह से हार गई, तो ऐसा ही ‘चमत्कार’ लोकसभा चुनाव में भी हो सकता है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव में बहुत अंतर होता है। 2019 लोकसभा चुनाव को ही देख लिया जाए तो इससे पहले बीजेपी ने तीन राज्यों राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में हार का सामना किया था। जबकि 2019 लोकसभा चुनाव में पार्टी ने जबरदस्त प्रदर्शन कर दोबारा केंद्र की सत्ता में वापसी की। हालांकि हिमाचल के बाद अब कर्नाटक की सत्ता से बीजेपी को बेदखल करने के बाद कांग्रेस समेत पूरा विपक्ष भले ही खुश हो, लेकिन आंकड़े बताते हैं कि विधानसभा और स्थानीय चुनावों के परिणाम लोकसभा चुनाव परिणाम से जुदा होते हैं। क्योंकि जनता विधानसभा चुनाव में स्थानीय मुद्दों को तरजीह देकर उसके अनुसार अपना वोट डालती हैं, तो वहीं लोकसभा चुनाव में वोटर्स के द्वारा राष्ट्रीय मुद्दे के अनुसार वोट डाले जाते हैं।

देखा जाये तो पिछले लोकसभा चुनाव में बीजेपी की जीत की सबसे बड़ी वजह कोई और नहीं बल्कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही थे। आम तौर पर ये होता है कि जैसे-जैसे किसी प्रधानमंत्री का कार्यकाल पूरा होता चला जाता है, तो वो विवादों में घिरने लगते हैं और उनकी लोकप्रियता भी कम होने लगती है। हालांकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अभी तक तो ऐसा नहीं हुआ है। इसके विपरीत प्रधानमंत्री मोदी की लोकप्रियता दिन पर दिन बढ़ती ही नजर आ रही है। केवल भारत ही नहीं बल्कि अब तो पूरी दुनिया में नरेंद्र मोदी के नाम और उनके नेतृत्व में भारत का डंका बज रहा है।

आप देख ही रहे होंगे कि किस तरह विदेश दौरे पर गए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पूरी दुनिया मुरीद हो रही हैं। एक देश के प्रधानमंत्री पैर छुकर पीएम मोदी का स्वागत कर रहे हैं, तो वहीं अमेरिका जो अपने आपको विश्व की सबसे बड़ी शक्ति मानता है, उसके राष्ट्रपति भी पीएम मोदी का ऑटोग्राफ मांगते नजर आते हैं। इसके अलावा ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री उनको ‘बॉस’ बताते हैं। ऐसे में जो मोदी देश और दुनिया में इतनी लोकप्रियता हासिल कर रहे हैं, उनको हराना बिलकुल भी आसान नहीं है।

देखा जाये तो विपक्ष के पास नरेंद्र मोदी को रोकने व हराने के लिए कोई एक मजबूत चेहरा भी नहीं है। और अगर ये कहा जाये कि विपक्ष की हालत एक अनार, सौ बीमार जैसी हैं, तो इसमें कुछ गलत नहीं होगा। गौर करने वाली बात है कि प्रधानमंत्री का पद तो केवल एक ही हैं, लेकिन इस पर दावेदारी विपक्ष के कई दिग्गज नेता समय-समय पर ठोंकते नजर आते हैं। ऐसे में मोदी के खिलाफ कौन-सा विपक्ष का चेहरा लोकसभा चुनाव में खड़ा होगा, ये एक बड़ा सवाल है।

बहरहाल, एक समस्या तो ये भी है कि 2024 चुनाव के लिए मोदी के खिलाफ विकल्प के तौर पर जितने भी चेहरे मैदान में हैं, उनमें से ज्यादातर कभी न कभी बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन का हिस्सा रहे हैं। ऐसे में सिर्फ विपक्षी गठबंधन ही नहीं बल्कि गैर-BJP वोटर्स के मन में भी ये सवाल आएगा कि क्या गारंटी है कि चुनाव नतीजे आने के बाद ये दोबारा BJP से हाथ नहीं मिलाएंगें?

जैसे कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ विपक्षी गठबंधन की अगुवाई इन दिनों नीतीश कुमार करते नजर आ रहे हैं। हालांकि नीतीश कुमार ने बिहार की सत्ता में बने रहने के लिए काफी समय तक BJP के साथ हाथ मिलाया। तो वहीं अगर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात की जाये तो आज भले ही ममता बीजेपी पर हमलावर रहती हों, लेकिन वो एक समय पर बीजेपी के साथ थीं। ममता बनर्जी, अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में मंत्री रह चुकी हैं। इसी तरह BSP प्रमुख मायावती ने तीन बार बीजेपी के समर्थन और गठबंधन से सरकार चलाई है। तेलंगाना के सीएम के. चंद्रशेखर राव के भी एक समय पर बीजेपी के साथ अच्छे संबंध थे। गौरतलब है कि ये जो तमाम नेता अब बीजेपी के कट्टर विरोधी होने का दावा ठोंकते हैं, उन्होंने एक समय पर बीजेपी के साथ जाने से परहेज नहीं किया।

विपक्ष 2024 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को हराने के लिए एकजुट होने की पूरी कोशिशों में लगा है, लेकिन कहीं न कहीं इस विपक्षी एकता में दरार नजर आ ही जाती हैं। कभी NCP प्रमुख शरद पवार किसी मुद्दें को लेकर विपक्ष से अलग राह पकड़ लेते हैं और विपक्षी एकता को आईना दिखा देते है, तो कभी ममता बनर्जी की TMC और कांग्रेस के बीच अनबन देखने को मिल जाती हैं। ऐसे में विपक्ष एक होकर भी कहीं न कहीं एक-साथ नहीं दिखाई देता है।

ये कहना गलत नहीं होगा कि विपक्ष के सामने कई समस्याएं हैं। सबसे बड़ी परेशानी तो यही है कि मोदी का सामना करने के लिए विपक्ष के पास कोई मजबूत और दमदार चेहरा नहीं हैं। कांग्रेस वैसे तो मुख्य विपक्षी दल है, लेकिन उसके पास भी चेहरे की कमी है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी पहले ही मानहानि केस में अयोग्य करार घोषित किए जा चुके हैं। वो चुनाव लड़ेंगे या नहीं ये तो कोर्ट के फैसले के बाद ही साफ होगा। इसके अलावा फिर चाहे वो नीतीश हो, केजरीवाल हो, ममता बनर्जी, केसीआर या विपक्ष का कोई और चेहरा हो, वो अकेले अपने दम पर चुनाव में मोदी का सामना नहीं कर सकते। वहीं इनका दायरा अपने-अपने राज्यों तक ही सीमित है।

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