Yudhisthira Curse: पांडव श्रेष्ठ युधिष्ठिर ने क्यों दिया था पूरी स्त्री जाति को श्राप? जानें सच्चाई

Yudhisthira Curse

Yudhisthira Curse: महाभारत की कहानी अपने आप में ही कई राज, कई रहस्यों, साजिशों और षड्यंत्र का मेल है। इस महाकाव्य में जहां एक तरफ श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दी गई भगवत गीता की सीख है, तो वहीं दूसरी तरफ कौरवों द्वारा पांडवों के साथ किया हुआ छल। महाभारत की हर एक कहानी अपने साथ कई राज छिपा के रखती है। इस महाकाव्य के हर एक किरदार की महत्वपूर्णता अपने आप में ही अहम है। हालांकि आज हम आपके साथ महाभारत के एक ऐसे रहस्य को साझा करने आए हैं, जिसके बारे में किसी ने कभी कल्पना नहीं की होगी। दरअसल, ये रहस्य पांडव श्रेष्ठ युधिष्ठिर से जुड़ा है। क्या आपने युधिष्ठिर द्वारा नारियों को दिए गए श्राप के बारे में सुना है? जी हां, सही सुना आपने, श्राप और वो भी पूरी स्त्री जाति को। आपको बता दें कि कुंती के सबसे बड़े पुत्र और पांडवों में सबसे श्रेष्ठ युधिष्ठिर ने क्रोध में आकर पूरी नारी जाति को एक श्राप दे दिया था। इतना ही नहीं बल्कि कहा जाता है कि युधिष्ठिर का ये श्राप आज भी कायम है।

क्या था कुंती और कर्ण का रिश्ता?

दरअसल, ये कहानी महाभारत के युद्ध के दौरान की है। हालांकि कहानी शुरू करने से पहले हम आप सभी से एक सवाल पूछना चाहते हैं। महाभारत की कहानी तो आप सभी ने देखी होगी, लेकिन क्या आपको पता है कि कुंती और सूर्यपुत्र कर्ण के बीच क्या रिश्ता था? अगर नहीं जानते तो आपको बता दें कि महाभारत में कुंती और कर्ण का संबंध मां-बेटे का था, लेकिन इस बात से पांडव और कर्ण दोनों ही अनजान थे। और यही से शुरू होती है युधिष्ठिर द्वारा नारियों को दिए गए श्राप की कहानी।

 

कर्ण ने किया था पांडवों की सहायता से इंकार

दरअसल, महाभारत के युद्ध के समय कुंती, कर्ण से मिलने जाती हैं और उन्हें बताती हैं कि वे उनके पुत्र हैं। ऐसे में पांडव उनके भाई हुए। इस रिश्ते से कर्ण को ज्ञात करके कुंती कर्ण से आग्रह करती हैं कि वो पांडवों के खिलाफ युद्ध ना लड़े। हालांकि दुर्योधन से अपनी मित्रता निभाते हुए कर्ण किसी भी तरह से पांडवों की सहायता करने से मना कर देता है और अंतत: युद्ध के दौरान अर्जुन के हाथों कर्ण का वध हो जाता है।

मृत्यु के बाद पांडवों के सामने आया था कर्ण का सच

कर्ण की मृत्यु के बाद कुंती नम आंखों के साथ पांडवों को यह बताती हैं कि कर्ण उनका बड़ा भाई था। इस बात को जानकर सभी पांडव दुखी और क्रोधित हो जाते हैं, लेकिन कर्ण की सच्चाई जानने के बाद अपनी ईमानदारी और दयालुता के लिए जाने जाने वाले युधिष्ठिर के क्रोध की सीमा नहीं रहती है। वो सोचते हैं कि अगर कर्ण उनका बड़ा भाई था, तो रिश्ते के अनुसार उन्हें पांचों-भाईयों से अधिक सम्मान और प्रेम मिलना था। इसी के साथ उन्हें इस बात का भी दुख था कि उनकी मां ने इतने सालों तक उनसे ये बात छुपा कर रखी। अथाह दुख और क्रोध के बीच युधिष्ठिर अपना आपा खो बैठे और उन्होंने संपूर्ण स्त्री जाति को ही श्राप देने का निर्णय ले लिया। ऐसे में युधिष्ठिर ने श्राप दिया कि औरतें किसी भी बात को अधिक समय तक गुप्त नहीं रख पाएंगी।

आज भी कायम है युधिष्ठिर का श्राप!

हैरान करने वाली बात यह है कि आज भी लोग ये कहते हैं कि औरतों के पेट में बात नहीं पचती है। वो किसी ना किसी को बता ही देती हैं। ऐसे में कई लोगों का ये भी कहना है कि ये सब युधिष्ठिर के श्राप का ही असर है। कहा जाता है कि उनका श्राप आप भी कायम है। अब इस बात में कितनी सच्चाई है कितनी नहीं ये तो हमें भी नहीं पता और ना ही हम इसपर कोई टिप्पणी करना चाहेंगे। हालांकि, महाभारत के इस रहस्य पर आपकी क्या राय है हमें कमेंट कर जरूर बताए।

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