कौन है Bageshwar dham के युवा संत, जानिए पंडित धीरेंद्र शास्त्री और धाम का अनसुना रहस्य

Bageshwar dham sarkar

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Bageshwar dham sarkar : लम्बे समय से पंडित धीरेंद्र शास्त्री अपनी रामकथा और दिव्य दरबार के चलते सुर्खियां में बने हुए हैं। हालांकि कई बार वह अपने विवादित बयानों के लिए भी चर्चा में रहते है। पंडित धीरेंद्र, अपने दादाजी की तरह देशभर में ‘दिव्य दरबार’ (divya darbar) लगाते है, जहां दुनिया भर से लोग अपनी परेशानी लेकर आते हैं।

पंडित जी (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) लाखों लोगों के बीच में से किसी का भी नाम लेते हैं और उस व्यक्ति का नाम, पता, परेशनी और समाधान तक लिख देते हैं। चौकाने वाली बात ये है कि, व्यक्ति के बिना कुछ बताए शास्त्री जी सब कुछ पर्चे पर लिख देते है। इसी चमत्कार के चलते लोग दूर-दर्ज से दिव्य दरबार में पहुंचते हैं। तमाम मीडिया चैनलों की पड़ताल के बाद भी इस बात का रहस्य नहीं खुल पाया है कि आखिर पंडित जी कैसे लोगों के मन की बात जान लेता हैं।

बता दें कि दिव्य दरबार (divya darbar) में आने वाले हर एक व्यक्ति से एक भी रुपया नहीं लिया जाता। दरबार एकदम नि:शुल्क होता है। पंडित धीरेंद्र जी (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) की बढ़ती लोकप्रियता के कारण अब वह रामकथा भी करते हैं। जगह-जगह वह खुद जाकर रामकथा कहते है और लोगों को बजरंग बली की पूजा-अर्चना करने के लिए प्रेरित करते हैं। बता दें कि पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री की लोकप्रियता देश में ही नहीं विदेश तक फैली हुई है ,उन्होंने ब्रिटेन में ब्रिटिश सांसदों और वहां के भारतीय समुदाय के लोगों के बीच भी रामकथा का वाचन किया है।

पंडित धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री का परिचय

पंडित धीरेन्द्र जी (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) का जन्म छतरपुर जिले के ग्राम गड़ा गांव में 4 जुलाई 1996 में हुआ था। उनका संबंध एक बहुत गरीब परिवार से था, जहां कई बार उन्हें एक वक्त का भोजन भी नहीं मिलता था। पंडित जी का एक छोटा भाई और एक बहन भी है। उनकी माता का नाम सरोज गर्ग हैं। पंडित जी के पिता राम करपाल गर्ग के पिताजी भगवानदास गर्ग (Bhagwan Das Garg) एक सिद्ध संत थे। जो गांव में दरबार (divya darbar) लगाया करते थे। शास्त्री जी (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) अपने दादा जी को अपना गुरु मानते हैं, जिनसे उन्होंने रामायण और भागवत गीता आदि का अध्ययन करना सीखा था। हालांकि उन्होंने बीए तक पढ़ाई की है।

लगभग 9 वर्ष की आयु में उन्होंने हनुमान जी बालाजी सरकार की साधना, भक्ति, सेवा, अर्चना और पूजा करनी शुरू कर दी थी। उनका (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) मानना है उनकी साधना से प्रसन्न होकर हनुमान जी और उनके स्वर्गीय दादाजी (Bhagwan Das Garg) की कृपा से उन्हें एक दिव्य अनुभूति व सिद्धियों का अहसास हुआ, जिसके बाद उन्होंने दिव्य दरबार (divya darbar) लगाने की शुरुआत की। दरबार में वह लोगों के तमाम दु:खों को निवारण करते हैं।

जानिए क्या है बागेश्वर धाम

मध्य प्रदेश के छतरपुर के पास गढ़ा में बागेश्वर धाम है, जहां बालाजी हनुमान जी (Balaji Hanuman Maharaj) का मंदिर स्थित हैं। बजरंग बली के मंदिर के सामने भगावन शिव का भी मंदिर हैं। मंदिर के पास पंडित धीरेन्द्र जी (Pandit Dhirendra Krishna Shastri) के गुरु जी और उनके दादाजी (Bhagwan Das Garg) का समाधी स्थल बनाया गया है, जहां हर मंगलवार को अर्जी लगाई जाती हैं।

बता दें कि वहां अर्जी लगाने के लिए नारियल को लाल कपड़े में बांधा जाता है और अपनी मनोकामना बोलने के बाद मंदिर में बांध दिया जाता है। साथ ही मंदिर की राम नाम जाप बोलते हुए लगभग 21 परिक्रमा की जाती हैं। जहां रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।

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