जब बचपन में भेदभाव के शिकार हुए भीमराव अंबेडकर

जब बचपन में भेदभाव के शिकार हुए भीमराव अंबेडकर

“फूलों की कहानी बहारों ने लिखी है…

रातों की कहानी सितारों ने लिखी है

हम नहीं है किसी के गुलाम…

क्योंकि हमारी जिंदगी,

बाबासाहब जी ने लिखी है!!”

आधुनिक भारत के शिल्‍पकारों में से एक… बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर देश के सबसे महान राजनेताओं में से एक हैं. बचपन से ही जातिगत भेदभाव का शिकार हुए भीमराव ने समाज को छूआछूत और जाति भेदभाव से छुटकारा दिलाने में ही अपना जीवन लगा दिया.

भीमराव आंबेडकर ने अपने बचपन के समय में देखा था कि देश की आबादी के बड़े हिस्‍से को नीचा और पिछड़ा बताकर विकास की धारा से अलग रखा जा रहा है. उन्‍होंने कानून के तहत, हर जाति के लोगों को पढ़ाई और नौकरी में आर‍क्षण दिलाने का काम किया.

नमस्कार दर्शकों …मैं राजन चोपड़ा साउथ ब्लॉक चैनल पर आपका स्वागत है।

आज बाबासाहब भीमराव अंबेडकर की जयंती के मौके पर मैं आपको उनके बचपन का वो किस्‍सा, बताने जा रहा हूं…जिसका उनके जीवन पर गहरा असर पड़ा था।

दोस्तों….., क्रिस्‍तोफ़ जाफ़्रलो द्वारा लिखी गई उनकी जीवनी के अनुसार, बचपन में एक बार भीमराव जी अपने भाई और बहन के साथ रेल में सवार होकर अपने पिता से मिलने के लिए जा रहे थे . उनके पिता ब्रिटिश भारतीय सेना में सिपाही थे और एक छावनी में काम करते थे. जब वह ट्रेन से उतरे तो स्‍टेशन मास्‍टर ने उन्‍हें पास बुलाकर कुछ पूछा.. जैसे ही स्‍टेशन मास्‍टर को उनकी जाति का पता चला, वह स्टेशन मास्टर 5 कदम पीछे हट गया.

इसके बाद भीमराव जी अपने भाई और बहन के साथ वहां से आगे जाने के लिए तांगा लेने की कोशिश की, मगर कोई तांगेवाला उनकी जाति के चलते उन्‍हें ले जाने को तैयार नहीं होता था. बहुत देर बाद …एक तांगावाला तैयार हुआ मगर उसने शर्त रखी कि तांगा बच्‍चों को खुद ही हांकना होगा. और इसके बाद भीमराव खुद तांगे को हांककर ले गए. बीच रास्ते तांगेवाला तो खुद उतरकर एक ढाबे पर भोजन करने लगा, मगर बच्‍चों को अंदर भी नहीं घुसने दिया गया. उन्होंने पास ही बह रही एक रेतीली खारे पानी की धारा से अपनी प्‍यास बुझानी पड़ी.

भीमराव के दिलो-ज़ेहन में अपने हालात का यह भयानक एहसास बेहद तीखा घाव कर गया. वह समझ गए कि छूआछूत की दीवार को गिराने के लिए शिक्षा की चोट करनी जरूरी है । उन्‍होंने बम्‍बई से मेट्रिकुलेशन की और फिर वजीफ़ा पाकर BA किया. छात्रवृत्ति के दम पर ही वह अमेरिका और फिर लंदन पढ़ने गए. उनकी अकादमिक उपलब्‍धियों के चलते उन्‍होंने अंग्रेजों का ध्‍यान अपनी ओर खींचा और आगे चलकर देश की राजनीति को बदलकर रख दिया. और बाबा साहेब ने हमारे देश को संविधान दिया जिससे आज तक हमारा देश चलाया जा रहा है.

14 अप्रैल 1891 को अंबेडकर का जन्‍म एक दलित परिवार में हुआ था। देश में उनके जैसा पढ़ा-लिखा उस समय शायद ही कोई था। इकोनॉमिक्‍स से दो डॉक्टरेट की डिग्रि‍यां थीं उनके पास। एक अमेरिका की कोलंबिया यूनिवर्सिटी से और दूसरी लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से। उस समय वह इंग्लैंड में रहने वाले सबसे ज्यादा एकैडमिकली क्वालिफाइड भारतीय थे। आंबेडकर की योग्यता को देखते हुए ही उन्हें ड्राफ्टिंग कमिटी का चेयरमैन बनाया गया था। उन्होंने देश के संविधान को मूर्त रूप दिया था।

आज महान विचारक और समाज सुधारक बाबा साहेब ड़ॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर साउथ ब्लॉक डिजिटल की पूरी टीम की ओर से उनको श्रृद्धा नमन के पुष्प अर्पित हैं।

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बाबासाहब भीमराव आंबेडकर जी की बदौलत ही आज हमारे देश में ….

. भारत का संविधान अनुच्छेद 17 के तहत अस्पृश्यता को समाप्त कर दिया गया है और किसी भी रूप में जाति के आधार पर इसका अभ्यास प्रतिबंधित है और कानून के अनुसार दंडनीय अपराध है

– इसके अलावा कुछ जरूरी तथ्य भी हैं ….

आज अनुसूचित जनजातियां (एसटी ) भारत की जनसंख्या के लगभग 8.6 प्रतिशत हैं, जिनकी संख्या लगभग 10.4 करोड़ है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 342 के तहत 730 से अधिक अनुसूचित जनजातियां अधिसूचित हैं।

– भारत की 2011 की जनगणना के अनुसार, दलितों की जनसंख्या, जिन्हें अनुसूचित जाति भी कहा जाता है, लगभग 201 मिलियन थी, जो भारत की कुल जनसंख्या का लगभग 16.6% है। बाबा साहब भीमराव अम्बेड़कर भी इसी जाति के महान समाज सुधारक है।

– एस.सी., एस.टी. वर्ग के सम्मान, स्वाभिमान, उत्थान एवं उनके हितों की रक्षा के लिए भारतीय संविधान में किये गये विभिन्न प्रावधानों के अलावा इन जातीयों के लोगों पर होने वालें अत्याचार को रोकनें के लिए 16 अगस्त 1989 को अधिनियम लागू किये गये।

– वर्ष 2018 में अत्याचार के मामलों में वर्ष 2017 की तुलना में लगभग 11.15% की कमी आई है, लेकिन पिछले वर्ष की तुलना में 2019 में 11.46% और 2020 में 8.6% की वृद्धि हुई है

– अनुसूचित जनजातियों (एसटी) के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 8,802 मामले दर्ज किए गए।

-.साल 2021 में अनुसूचित जाति (एससी) के खिलाफ अपराध करने के लिए कुल 50,900 मामले दर्ज किए गए

– एससी महिलाओं पर हमले के साथ बलात्कार उनकी लज्जा भंग करने के इरादे से 2021 में 10.0% (881 मामले) दर्ज रहे।

तो दोस्तों क्या अम्बेड़कर जी के सपनों का भारत निर्माण हो रहा है या नहीं .. क्योंकि आज भी बहुत सी पस्तिथियां है जिनमें सुधार की जरूरत है। हम आशा करते है कि जल्द ही समस्याओं का संवैधानिक तराके से हल निकाला जाए और देश की उन्नति में सभी वर्गो को भागीदार बनाया जाए।

आज महान विचारक और समाज सुधारक बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर की जयंती पर साउथ ब्लॉक डिजिटल की पूरी टीम की ओर से उनको श्रृद्धा नमन के पुष्प अर्पित है।

धन्यवाद

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