समुद्र मंथन का असली कारण क्या था, कितने रत्न ने लिया जन्म

Samudra Manthana

Samudra Manthana

Samudra Manthana : देवताओं और असुरों, सिर्फ एक वजह से साथ आए थे और वो है समुद्र मंथन। इससे पहले हमेशा असुर देवताओं से लड़ते रहते थे। माना जाता है कि समुद्र मंथन से सिर्फ पृथ्वी का निर्माण हुआ था। लेकिन ये सच नहीं है। भगवन विष्णु ने समुद्र मंथन से 14 बहुमूल्य रत्न निकाले थे।

 

कौन-कौन से बहुमूल्य रत्न ने लिया जन्म

समुद्र मंथन से प्राप्त हुई 14 बहुमूल्य वस्तुंए थी हलाहल विष, कामधेनु गाय, उच्चै:श्रवा घोड़ा, ऐरावत हाथी, कौस्तुभ मणि, कल्पवृक्ष, अप्सरा रंभा, माता लक्ष्मी और वारुणी। इसके अलावा चंद्रमा, पांचजन्य शंख, पारिजात (वृक्ष), शारंग धनुष और अमृत भी समुद्र मंथन से निकले थे।

Samudra Manthan से सबसे पहले हलाहल विष निकला था, जिसकी तेज ज्वाला से देवता और दानव जलने लगे थे। देवता, दानव और समस्त सृष्टि को बजाने के लिए शिव जी ने इसी पी लिया था। विष को पीते ही भगवान शिव का कण्ठ नीला पड़ गया था। इसी वहज से उन्हें नीलकण्ठ भी कहा जाता हैं। हलाहल विष के बाद कामधेनु गाय निकली थी। और ऐसे ही एक के बाद एक बहुमूल्य रत्न प्राप्त होते गए।

समुद्र मंथन का मुख्य कारण

बता दें कि भगवान शिव जी का समुद्र मंथन कराने का मुख्य कारण देवी लक्ष्मी की खोज को माना जाता है। गौरतलब है कि जब विष्णु जी सृष्टि संचालन में व्यस्त थे तब लक्ष्मी माँ समुद्र की गहराइयों में समा गयी थी। और Samudra Manthan से लक्ष्मी माता फिर से बाहर आई और उन्होंने विष्णु जी से फिर शादी की।

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