ज्ञानवापी मस्जिद विवाद का हल क्या है

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ज्ञानवापी मस्जिद विवाद पर वाराणसी कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। हिन्दू पक्षकारों की ओर से मस्जिद परिसर के वजू खाने से मिले शिवलिंग की कार्बन डेटिंग करवाने के प्रस्ताव को कोर्ट ने खारिज कर दिया है। इस फैसले से मुस्लिम पक्ष खुश है, लेकिन क्या यह किसी पक्ष की जीत है।

कोर्ट ने कहा कि कार्बन डेटिंग की मांग को नहीं माना जा सकता। इस फैसले को विधि विशेषज्ञों की अलग-अलग राय है। वकीलों का कहना है कि इस फैसले से किसी की जीत या हार का सवाल नहीं है। हिन्दू पक्ष की ओर से भी कार्बन डेटिंग नहीं करवाने की बात सामने आयी है। कार्बन डेटिंग दोनों ही पक्ष इसलिए भी नहीं करवाना चाहते क्योंकि इससे हिन्दू पक्ष की ओर से शिवलिंग और मुस्लिम पक्ष की ओर से फव्वारा को नुकसान पहुंच सकता है।

इस फैसले से दोनों ओर एक जैसी ही प्रतिक्रिया आयी है, लेकिन सवाल फिर वहीं का वहीं है कि ज्ञानवापी के वजू खाने से मिली आकृति शिवलिंग है या फिर फव्वारा। सवाल ये भी है कि आखिर इस आकृति का फैसला कैसे होगा?  सवाल यह भी है कि क्या हिन्दुओं को शिवलिंग की पूजा का अधिकार मिलेगा? क्या हिन्दुओं को मस्जिद में मिले मंदिर में पूजा अर्चना करने की अनुमति मिलेगी? ये सभी सवाल वाराणसी कोर्ट के आदेश के बाद भी बरकरार हैं। फैसला आने  के बाद हिन्दू पक्ष सुप्रीम कोर्ट भी जाने की बात कर रहा है।

कोर्ट के आदेश में क्या है

असल में वाराणसी जिला एवं सत्र न्यायालय में जिला जज डॉ. अजय कुमार विश्वेश की अदालत ने जो फैसला सुनाया है। हमें इस फैसले की बारीकियों को समझना चाहिए। कार्बन डेटिंग एक वैज्ञानिक तकनीक है। इस तकनीक में जांच के दौरान टेक्नोलॉजी का प्रयोग करने या ग्राउंड पेनेट्रेटिंग रडार के प्रयोग करने से कथित शिवलिंग को क्षति पहुंच सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने 17 मई के आदेश में शिवलिंग को सुरक्षित रखने का आदेश दिया है। ऐसे में यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश का उल्लंघन होगा। अगर कथित शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचता है तो इससे आम लोगों की धार्मिक भावनाओं को ठेस लग सकती है।

कोर्ट ने स्पष्ट तौर पर कहा कि तमाम स्थितियों को देखते हुए भारतीय पुरातत्व विभाग को सर्वे सर्वे से संबंधित निर्देश दिया जाना उचित नहीं होगा। ऐसा आदेश देने के बाद इस केस में निहित सवालों के न्यायपूर्ण समाधान की कोई संभावना नहीं दिखती है। इसलिए कोर्ट ने इस प्रार्थना पत्र को खारिज कर दिया। कोर्ट के फैसले ने साफ कर दिया है कि ज्ञानवापी मस्जिद की कार्बन डेटिंग नहीं होगी। ऐसे में सवाल यह उठता है कि इस केस में दोनों पक्षों के पास विकल्प क्या है? क्योंकि, कोर्ट ने शिवलिंग के अस्तित्व को किसी भी स्थिति में खारिज नहीं किया है।

 हिंदू पक्ष का फैसले पर क्या कहना है

हिन्दू पक्ष का कहना है कि वह फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में जाएंगे। हालांकि अभी तारीख तय नहीं है। लेकिन, मामले से जुड़े पक्षकारों का कहना है आखिर ये पता करना आवश्यक है कि ज्ञानवापी मस्जिद से निकली आकृति शिवलिंग है या फव्वारा। यह वैज्ञानिक जांच से ही पता चल सकता है।  ज्ञानवापी केस में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व करने वाले वकील विष्णु जैन ने कहा कि कोर्ट ने कार्बन डेटिंग की मांग की हमारी मांग को खारिज कर दिया है। हम इस आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट जाएंगे और वहां इसे चुनौती देंगे।

यहां ये भी बताना जरूरी है कि वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में मिले शिवलिंग की वैधता पर कोई सवाल नहीं उठाए हैं। केवल कार्बन डेटिंग की मांग को खारिज किया है। इसका आधार 17 मई को सुप्रीम कोर्ट का आदेश बनाया गया है। दरअसल, 16 मई को वाराणसी कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद के वजू खाने में मिले कथित शिवलिंग के इलाके को सील करने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ मुस्लिम पक्ष सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने भी विवादित स्थल को सुरक्षित रखने का आदेश दिया था। ऐसे में निचली अदालत ने तो इस मामले में अपना पक्ष साफ कर दिया है। अब पूरा मामला सुप्रीम कोर्ट के पास पहुंच सकता है।

कुल मिलाकर देखा जाए तो ज्ञानवापी पर फैसले की एक सुई इस बात पर अटकी है कि मस्जिद या यूं कहें कि मंदिर को तोड़कर बनाई गई मस्जिद के तहखाने में मिली आकृति की असल हकीकत क्या है। असली हकीकत वैज्ञानिक जांच से ही पता चल सकती है। फिलहाल मामला कोर्ट में है और हम यही उम्मीद करते हैं कि यह मामला जल्द से जल्द सुलझे ताकि यह मामला किसी भी प्रकार का सांप्रदायिक रंग न ले सके। फिलहाल यह जान लेते हैं कि इस मामले में अभी तक क्या क्या कोर्ट में हो चुका है।   

ज्ञानवापी केस में अब तक क्या-क्या हुआ:

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