छठ पूजा में क्या है सिंदूर लगाने का महत्व, जानिए मांग भरने का नियम और मान्यता

छठ पूजा में सिंदूर से जुड़ी मान्यताएं

Chhath Puja 2022: हर साल कार्तिक मास की चतुर्थी तिथि को छठ पर्व की शुरुआत होती है। छठ के त्यौहार के दिन छठी मैया और सूर्य देव की पूजा अर्चना की जाती है। देशभर में इस बार 28 अक्तूबर 2022 को छठ पूजा मनाई जाएगी। छठ का पर्व चार दिन का होता है, जिसमें व्रती संतान प्राप्ति और पति व पुत्र-पुत्री की लंबी आयु और मनोकामना पूर्ति के लिए उपवास करती हैं। छठ उपवास में महिलाएं श्रृंगार करती हैं। इसके अलावा इस दौरान मांग में सिंदूर भरने की परंपरा भी होती है। महिला का गहरा एवं लंबा सिंदूर सुहाग की आयु को प्रदर्षित करता है।

छठ पूजा में सिंदूर लगाने की मान्यता

छठ पूजा पर महिलाओं के मांग में सिंदूर भरने के पीछे कई मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि जो स्त्री अपनी मांग के सिंदूर को बालों में छुपा लेती हैं तो उसका पति भी समाज में छुप जाता है यानी पति को वो सम्मान नहीं मिल पाता, जो उसे मिलना चाहिए। इस कारण ही महिलाएं लंबा सिंदूर लगाती हैं, ताकि उनके पति की आयु बढ़े और समाज में उनका सम्माम भी।

सिंदूर को माथे से लगाना शुरू करना चाहिए चो सीधा मांग तक जाएं। इसके अलावा कुछ महिलाएं नाक से लेकर पीछे मांग तक सिंदूर भर्ती हैं, जो कि पति की लंबी उम्र का प्रतीक होता है। गाढ़ा और पीले रंग का सिंदूर लगाना शुभ होता है। गौरतलब है कि सुहागिन के सोलह श्रृंगार में सबसे अहम सिंदूर होता है, जिसका पूजा में होना आवश्यक है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि southblockdigital.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है। किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें।

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