फांसी के वक्त कैदी के कान में क्या कहता है जल्लाद

Fasi blog image

फांसी की सजा दुनिया की वो अंतिम सजा है जिसके बाद हर गुनाह की सजा पूरी हो जाती है। ये इसलिए कहा जाता है क्योंकि यही किसी कैदी या अपराधी की अंतिम सजा हो सकती है। इस सजा के बाद शरीर प्राण विहिन हो जाता है और शरीर में जब जान ही नहीं रहती तो व्यक्ति कोई अपराध या कार्य कर ही नही सकता।

लेकिन, अक्सर ही ये बात पूछी जाती है कि आखिर फांसी देने से पहले जल्लाद यानी एक ऐसा व्यक्ति जो किसी अनजान व्यक्ति को सजा दे रहा है उसके मन में क्या चल रहा होता है। क्योंकि वह व्यक्ति तो उस व्यक्ति को जानता भी नहीं जिसे वह मौत की सजा दे रहा होता है। सवाल यह भी कई बार उठा है कि जल्लाद का काम करने वाला व्यक्ति कैदी के कान में क्या कहता है।

अपने समय के मशहूर जल्लाद नाटा मलिक ने एक बार कहा था कि वे अपराधी के गले में फंदा डालने से पहले उनसे माफी मांगते हैं। वे उन्हें कहते हैं कि वे सिर्फ कानून का पालन कर रहे हैं और अपनी ड्यूटी को अंजाम दे रहे हैं।

इस बात में कितनी सच्चाई है ये तो कोई नहीं बता सकता लेकिन मानवीय आधार पर यह माना जा सकता है। यह बात इस लिए भी मानी जा सकती है क्योंकि एक जल्लाद का काम करने वाला भी एक साधारण ही व्यक्ति है।

और चलिए अब आपको एक और हैरान करने वाली बात बताते हैं। हम आपको बताते हैं कि जल्लाद कैसे इस काम को अंजाम देता है। यानी जल्लाद कैसे फांसी की सजा को देने के काम को अंजाम देता है।

फांसी की सजा को देने से पहले जल्लाद को 2-4 दिन पहले जेल जाना होता है और यहां पहुंचकर फांसी देने का अभ्यास करना पड़ता है। इसमें उसे फंदे और तख्ते की जांच करनी होती है साथ ही इस बात का भी ध्यान रखना होता है कि फांसी देने के बाद कैदी किसी भी तरह से जिंदा न रह जाए। इसके लिए वह फांसी के फंदे पर कैदी के वजन से ज्यादा वजनी पुतला बनाकर फांसी पर लटकाता है और रस्सी की जांच करता है।

रस्सी की जांच करने और सारी प्रक्रिया को पूरी करने के बाद एक निश्चित समय पर कैदी को फांसी दी जाती है। फांसी देने से पहले कैदी को स्नान करने, पूजा पाठ करने और उसकी अंतिम इच्छा भी पूछी जाती है।

Exit mobile version