एकला चलो रे : अकेले लोकसभा चुनाव लड़ेगी TMC, विपक्षी एकता को ममता बनर्जी का तगड़ा झटका

Mamta Banerjee

विपक्ष की हालत ‘एक अनार, सौ बीमार’ वाली है। प्रधानमंत्री पद तो केवल एक ही है, लेकिन ये चाहिए सबको। यही कारण है कि मोदी सरकार के खिलाफ विपक्ष की एकजुटता कही न कही कमजोर दिख ही जाती है। अब इसी एकजुटता पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बड़ी चोट पहुंचाई है। बंगाल की सीएम और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने एक बड़ा बयान देते हुए कहा है कि साल 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव को टीएमसी अकेले अपने दम पर लड़ेगी। उन्होंने कहा कि TMC का गठबंधन जनता के साथ होगा।

अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान

ममता बनर्जी ने कहा कि वो 2024 लोकसभा चुनाव लोगों के समर्थन से लड़ेगीं। मुझे भरोसा है कि जो भी लोग बीजेपी को हराना चाहते हैं, वो तृणमूल कांग्रेस को वोट देंगे। देखा जाये तो आए दिन कई नेता बीजेपी के खिलाफ विपक्ष को एकजुट करने की बात कहते हैं। अब ममता बनर्जी के इस बयान से उनके इस प्रयास को बड़ा झटका लग सकता है।
खड़गे ने सभी दलों को एकजुट करने की कोशिश की

आपको बता दें कि एक मार्च बुधवार को तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने अपने जन्मदिन के अवसर पर चेन्नई में एक रैली की थी, जिसमें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के साथ सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव भी मौजूद रहे थे। इस रैली में मंच से मल्लिकार्जुन खरगे ने सभी दलों के साथ आने का आह्वान किया। हालांकि केवल एक ही दिन के अंदर ममता बनर्जी ने उनकी इन कोशिशों को करारा झटका दिया है।

अनैतिक गठबंधन को लेकर किया बड़ा दावा

केवल इतना ही नहीं बल्कि ममता ने तो कांग्रेस का बीजेपी के बीच अनैतिक गठबंधन करने का आरोप तक लगा दिया। दरअसल, पश्चिम बंगाल की सागरदिघी सीट पर उपचुनाव हुआ, जिसके परिणाम टीएमसी के पक्ष में नहीं आए। करीब एक दशक के बाद ये सीट कांग्रेस ने टीएमसी के हाथों से छिन ली है। सागरदिघी से कांग्रेस केबायरन बिश्वास ने टीएमसी उम्मीदवार देवाशीष बंद्योपाध्याय को 22,980 वोटों के बड़े अंतर से हरा दिया है, जिसके बाद ममता इस पर भड़क उठी।

ममता ने कहा कि हम मालूम हैं कि हमने ये उपचुनाव गंवा दिया है। इसके लिए मैं किसी को जिम्मेदार नहीं मानती, लेकिन एक अनैतिक गठबंधन तो हुआ है जिसकी हम निंदा करते हैं। वोट शेयरों को अगर देखा जाये तो बीजेपी ने अपना वोट कांग्रेस को ट्रांसफर किया। एक ओर कांग्रेस-लेफ्ट का गठबंधन है और दूसरी तरफ बीजेपी का वोट ट्रांसफर। दिलचस्प बात तो ये है कि ये सब चुपचाप हो रहा है। आपको बता दें कि सागरदिघी विधानसभा सीट पर उपचुनाव तृणमूल कांग्रेस के विधायक के निधन के बाद हो रहा था।

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