बिहार में बढ़ रहा है Tiranga Food खाने का ट्रेंड, कुपोषण की समस्या को दूर करने का है दावा

Tiranga Food Benefits

Tiranga Food Benefits : भारत का तिरंगा, दुनियाभर में आजाद भारत की पहचान को दर्शाता हैं। तिरंगे के तीन रंग साहस, शांति और खुशहाली का प्रतीक है। हालांकि अब बिहार में तिरंगा, खानपान और आजीविका का अहम हिस्सा बन गया है। जो लोगों को रोजगार देने के साथ-साथ कुपोषण की समस्या से भी छुटकारा दिलाता है।

बता दें कि बिहार के लगभग 6 जिलों में तिरंगा भोजन उगाने और खाने का काम चल रहा है। जो कि गांवों की महिलाओं द्वारा किया जा रहा हैं। बिहार के मधुबनी जिले में करीब 16 एकड़ जमीन पर कई पोषण वाटिकाएं बनाई गई है। जहां तिरंगे (Tiranga Food Benefits) के तीन रंग को ध्यान में रखते हुए नारंगी या केसरिया, सफेद और हरे रंग की सब्जियां, अनाज, फल और तमाम खाने-पीने की चीजें उगाई जा रहीं हैं।

गौरतलब है कि तिरंगा फूड (Tiranga Food Benefits) को देश के कोने-कोने तक पहुंचाने के लिए हेफर इंडिया इंटरनेशनल, गांव की महिलाओं को तिरंगा फूड की ऑर्गनिक खेती और पोषण वाटिका की ट्रेनिंग दे रही हैं। जो कि बिहार सस्‍टेनेबल लाइवलीहूड परियोजना के अंदर आता है।

इन चीजों को किया गया शामिल

स्वस्थ व कुपोषण की समस्या से छुटकारा पाने के लिए रोजाना भोजन में पौष्टिक आहार को शामिल करना चाहिए। जो तिरंगा फूड (Tiranga Food Benefits) यानी नारंगी, सफेद और हरे, तीनों रंगों के भोजन में है। इसलिए प्रतिदिन इसका आहार करने से शरीर को पूर्ण पोषण मिलता है, जिससे कुपोषण की समस्या से छुटकारा मिलता हैं।

बता दें कि तिरंगा फूड (Tiranga Food Benefits) को उगाने के लिए गौ-मूत्र, गाय का गोबर व घी और नीम के पत्‍तों जैसे जैविक खाद का इस्‍तेमाल किया जा रहा हैं। इसलिए इसमें प्रोटीन, मिनरल्‍स, विटामिन्‍स, कार्बोहाइड्रेट्स, खनिज और सभी जरूरी न्‍यूट्रिएंट्स की भरपूर मात्रा है। जो शरीर के लिए बहुत सेहतमंद हैं। इसमें किसी भी प्रकार के केमिकल या कीटनाशक खाद का उपयोग नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से इसकी मांग बढ़ती जा रही हैं। बता दें कि रोजाना सब्जियां, फल और अन्य चीजों को बेचने से प्रत्येक महिला लगभग 300 से 500 रुपये कमा रही है।

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