हिंदी पर स्टालिन की केंद्र को चेतावनी, कहा : हिंदी न थोपी जाए

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देश में अनिवार्य भाषा को लेकर एक बार फिर बहस शुरू हो गई है। केंद्र द्वारा देश में अंग्रेजी भाषा की जगह हिंदी भाषा को अनिवार्य भाषा के रूप में लाने का एक बार फिर डीएमके ने विरोध किया हैं। इस मुद्दे को लेकर तामिलनाडु के सीएम एम. के स्टालिन ने केंद्र की मोदी सरकार पर निशाना साधा है।

स्टालिन ने केंद्र की मोदी को चेतावनी दी है कि हिंदी थोपकर एक और भाषा युद्द न शुरू किया जाए। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से हिंदी भाषा को अनिवार्य बनाने का प्रयास छोड़ने और देश की अखंडता बनाए रखने की अपील की है। स्टालिन ने केंद्रीय मंत्री अमित शाह द्वारा राष्ट्रपति द्रोपदी मूर्म को हाल ही में सौंपे गए एक रिपोर्ट पर प्रतिक्रिया देते हुए स्टालिन ने कहा कि, अगर इस रिपोर्ट को लागू किया जाता है तो देश की बड़ी गैर हिंदी भाषा अपने ही देश में दोयम दर्जे की रह जाएगी।

हिंदी भाषा को थोपना देश की अखंडता के विरूद्ध है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र की मोदी सरकार हिंदी भाषा को लेकर अतीत में हुए आंदोलनों से सबक लेगी।

स्टालिन ने ट्वीट कर साधा निशाना

केंद्र की मोदी सरकार द्वारा देश में हिंदी भाषा को अनिवार्य भाषा बनाने के प्रयास को लेकर मुख्यमंत्री स्टालिन ने ट्वीट भी किया है। उन्होंने अपने ट्वीट में लिखा, एक राष्ट्र, एक भाषा, एक धर्म, एक खानपान और एक संस्कृति लागू करने का केंद्र का प्रयास भारत की एकता को प्रभावित करेगा। उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, कि केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की अध्यक्षता वाली राजभाषा संबंधी संसदीय समिति की राष्ट्रपति को सौंपी गयी रिपोर्ट में ऐसी सिफारिशें हैं, जो भारतीय संघ की अखंडता को खतरे में डालने वाली हैं।

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