सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना निभाएंगें DMRC और अरविंद टेक्नो ग्लोब की बीच विवाद में मुख्य भूमिका, हुई नियुक्ति

DMCR arvind techno globe dispute

दिल्ली उच्च न्यायालय ने हाल ही में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को एक केस में स्वतंत्र जजों के पैनल में शामिल किया है। ये केस काफी महत्वपूर्ण बताया जा रहा है। ये केस दिल्ली मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और मैसर्स अरविंद टेक्नो ग्लोब (जेवी) के बीच एक निर्माण अनुबंध के संबंध में है। 6 मार्च, 2023 को एकमात्र मध्यस्थ की नियुक्ति के लिए दिल्ली उच्च न्यायालय के समक्ष अरविंद टेक्नो ग्लोब द्वारा याचिका दायर की गई थी। DMRC ने मध्यस्थों का एक स्वतंत्र मध्यस्थ न्यायाधिकरण नियुक्त करने से इनकार कर दिया था। दरअसल, मैसर्स अरविंद टेक्नो ग्लोब (जेवी), मैसर्स अरविंद टेक्नो इंजीनियर्स प्राइवेट के बीच एक साझेदारी है। वे पुलों, एलिवेटेड वायडक्ट्स, एलिवेटेड कॉरिडोर, ग्रेड सेपरेटर, इंटरचेंज और अन्य संरचनाओं के डिजाइन और निर्माण पर काम करते हैं। कंपनी ने पहले सिंचाई, बांधों, सुरंगों, हवाई अड्डों और औद्योगिक संरचनाओं से जुड़ी परियोजनाओं पर काम किया है।

मामले के तथ्य

विवाद 2013 के अनुबंध दिनांक 22 जुलाई से संबंधित है। इस अनुबंध में कहा गया है – “एलिवेटेड वायाडक्ट के आंशिक डिजाइन और निर्माण और दो एलिवेटेड स्टेशन अर्थात जौहरी एन्क्लेव और शिव विहार स्टेशनों के लिए काम देने के लिए आर्किटेक्चरल फिनिशिंग, जल आपूर्ति, स्वच्छता स्थापना और स्टेशनों के जल निकासी कार्यों की श्रृंखला 55121.184 मीटर से 57357.623 मीटर तक है। इस मामले में अरविंद टेक्नो ग्लोब का कहना है कि काम की समय सीमा 19 मई 2015 थी, लेकिन प्रतिवादी की गलती और देरी के लिए कई तरह के बहाने, काम के आस्थगित प्रमुखों सहित, याचिकाकर्ता समय सीमा तक काम खत्म करने में असमर्थ था।

परियोजना में 27 महीने की देरी हुई और याचिकाकर्ता ने इसे 30 अक्टूबर, 2018 को समाप्त कर दिया। प्रतिवादी ने 25 फरवरी, 2020 को इसके लिए प्रदर्शन प्रमाणपत्र प्रदान किया। काम पूरा होने के बाद, याचिकाकर्ता ने अपने पत्र दिनांक 2 जून, 2022 के तहत रुपये का दावा किया। प्रतिवादी उक्त दावे को जारी करने में विफल रहा और मामले को सुलह के माध्यम से निपटाने का प्रस्ताव दिया गया था जहां इस अनुरोध स्वीकार कर लिया गया था। इस तरह सुलहकर्ता ने सुलह की कार्यवाही के संदर्भ में प्रवेश किया जहां सुलह की कार्यवाही एक उचित समय के भीतर समाप्त नहीं हुई थी। इस प्रकार, याचिकाकर्ता ने पत्र दिनांक 2 एन डी जून, 2021 ने उक्त कार्यवाही को समाप्त करने का अनुरोध किया। चूंकि पहला संकल्प विफल हो गया है तो इस मामले में मध्यस्थता शुरू की गई है।

Exit mobile version