जादू टोने पर अब भी लोग करते है विश्वास, नई स्टडी में हुए कई खुलासे

witchcraft

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Black Magic : शिक्षा और विज्ञान में इतनी तरक्की करने के बाद भी कई लोग जादू टोना में विश्वास करते हैं। हालांकि इस पर विश्वास करने का कारण केवल अशिक्षा ही नहीं है। बल्कि इसके कई और वजह भी हैं। जादू टोना पर अब एक नया अध्ययन किया गया है। इस अध्ययन में पाया गया है कि दुनिया में ज्यादातर लोग जादू टोने में विश्वास करते हैं। विश्वास करने वाले लोगों की संख्या उम्मीद से कहीं गुना ज्यादा है।

अमेरिकी अर्थशास्त्री ने किया अध्ययन

जादू टोना (witchcraft) एक अद्भुत कला होती हैं। कला के माध्यम से व्यक्ति को पराप्राकृतिक शक्तियां प्राप्त होती हैं। इनमें दूसरों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ मारने की भी क्षमता होती है। ये नया अध्ययन, वॉशिंगटन यूनिवर्सिटी के अमेरिकी अर्थशास्त्री बोरिस ग्रेशमैन (Boris Greshman, American economist at the University of Washington) ने किया हैं। अर्थशास्त्री बोरिस ने ये अध्ययन 95 देशों और वहां के रहने वाले इलाकों के 1.4 लाख लोगों पर किया। वहां पर रहने वाले 40 प्रतिशत प्रतिभागियों ने ये बात मानी की, वह लोग जादू टोने, श्राप और बद्दुआ जैसी चीजों पर विश्वास करते हैं। यहां के लोगों को लगता है कि इन सब चीजों से व्यक्ति के साथ बुरा किया जा सकता हैं।

उम्मीद से कहीं ज्यादा विश्वास करते है लोग

अमेरिकी अर्थशास्त्री ने अपनी रिसर्च में पाया कि ज्यादातर जगहों पर जादू टोनों (witchcraft) पर विश्वास (Belief) किया जाता हैं। हालांकि अलग-अलग जगह पर इसे विविधता के साथ किया जाता है। स्वीडन में केवल 9% लोग ही इस पर विश्वास करते हैं। जबकि ट्यूनीशिया की 90% जनता इन सब पर विश्वास करती हैं।

अध्ययन में ये भी पाया गया कि शिक्षित और अशिक्षित दोनों तरह के लोग इस पर अंधविश्वास करते हैं। गरीब लोग जितना इन सब को मानते है उतना ही उच्च स्तर के लोग भी इन सब का सहारा लेते हैं। इस पर विश्वास करने के अलग-अलग कारक हैं। जैसे कि- मनोवैज्ञानिक, संस्थानात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक आर्थिक आदि।

नई स्टडी में हुए कई खुलासे

बोरिस ग्रेशमैन के मुताबिक, इन तमाम कारक की वजह से लोगों का जादू टोने (witchcraft) में विश्वास (Belief) बढ़ता हैं। माना जा रहा है कि आने वाले समय में इन पर लोगों का विश्वास और ज्यादा बढ़ जाएगा।

डामाडोल संस्थानों, सामाजिक विश्वास में अभाव और लालसा के चलते इन सब में विश्वास बढ़ने की संभावना बढ़ सकती है। ग्रेशमैन मानते है कि इन सब का समाज पर दुष्प्रभाव पढ़ता है। खराब होते सामाजिक संबध, पैसे कमाने की सनक, उच्च स्तर की बेचैनी और निराशावादी विचारधारा का असर सीधा-सीधा समाज पर पढ़ रहा हैं।

 

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