शिव जी के इस मंदिर में त्रिशूल की जगह मौजूद हैं पंचशूल, जानिए क्या है खासियत

Baidyanath Temple Secret

Baidyanath Temple Secret

Baidyanath Temple Secret : दुनियाभर में मौजूद हर एक मंदिर और उसमें विराजमान भगवान की प्रतिमा का अपना अलग महत्त्व, मान्यता और रहस्य है। विश्वभर में मौजूद शिव जी के हर मंदिर की भी अपनी खासियत हैं। झारखंड के देवघर में स्थित द्वादश ज्योतिलिंग की भी अपनी अलग पहचान है, जहां दर्शन करने के लिए रोजाना बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। बाबा वैद्यनाथ के इस मंदिर की एक खास बात ये भी है कि शिवालय के शिखर पर त्रिशूल की जगह पंचशूल लगाया गया है। आज हम आपको इस आर्टिकल में पंचशूल (Baidyanath Temple Secret) के पीछे के धार्मिक रहस्य के बारे में बताएंगे।

जानिए पंचशूल का महत्त्व

देवों के देव माहदेव को त्रिशूल अति प्रिय हैं। इसलिए शिव जी के सभी मंदिरों में महादेव की मूर्ती, शिवलिंग और त्रिशूल होता ही है। लेकिन बाबा वैद्यनाथ के इस मंदिर (Baidyanath Temple Secret) में पंचशूल हैं, जिसमें पांच नुकीले चोंच बने हुए हैं। धार्मिक मान्यता के अनुसार, भोलेनाथ को पांच की संख्या भी बहुत प्रिय हैं। इसलिए भगवान शिव (Shivji) की साधना करते समय पंचमुखी रुद्राक्ष और पंचाक्षरी मंत्र आदि की उपासना करना बहुत शुभ माना जाता है। इसी वजह से वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple Secret) के शिखर में पंचशूल लगाया गया है। पंचशूल के पंच विकार काम, मोह, क्रोध, ईष्या और लोभ से मनुष्य का बचाव होता है।

पंचशूल और रामकथा का भी हैं संबंध

मान्यता के अनुसार, वैद्यनाथ मंदिर (Baidyanath Temple Secret) में दर्शन करने से ही व्यक्ति के सभी दुःख-दर्द का नाश होता है। पौराणिक कथाओं के मुताबिक, त्रेतायुग में रावण ने भी अपनी स्वर्ण नगरी में पंचशूल लगवाया था। कहा जाता है कि जहां पर पंचशूल लगता है, वहां पर एक सुरक्षा कवच बन जाता है, जिसे कोई भी आम इंसान भेद नही सकता। पंचशूल के सुरक्षा कवज को भेदने की ताकत केवल रावण में ही थी। इसलिए भगवान राम और उनकी सेना को लंका के राजा रावण की नगरी में प्रवेश करने में कठिनाई हुई थी। हालांकि विभीषण की सहायता से राम जी ने लंका को भेदने की जानकारी प्राप्त कर ली थी, जिसके बाद उन्होंने रावण जी का वध किया था।

Exit mobile version