भविष्य में बंद हो जाएंगे नोट डिजिटल करेंसी बनेगी आधार

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क्या आप जानते हैं कि 100 रुपये का नोट छापने का खर्च कितना आता है? अगर आपको इस बात की जानकारी नहीं तो चलिए हम आपको बता दें कि 100 रुपये के नोट को छापने का खर्च 15 से 17 रुपये आता है। सोचिये, करोड़ों रुपये की करेंसी छापने में कितना खर्च होता होगा।

अब इसी परेशानी से निजात पाने के लिए दुनिया के बहुत से देशों ने कमर कस ली है। माना जा रहा है कि 2023 में यूरोप में डिजिटल करंसी लाने के लिए बिल पेश हो सकता है। आपको बता दें कि 109 देशों के केंद्रीय बैंक इसे लागू करने के लिए तैयारी और शोध में जुटे हैं।

आपको बताते चले कि दुनियाभर के देश डिजिटल करंसी से अर्थव्यवस्था को नई मजबूती देने की तैयारी में हैं। देश में मंगलवार को डिजिटल करंसी ई-रुपया की शुरुआत के साथ नए युग का आगाज भी हो गया है। बजट में की गई घोषणा के अनुसार रिजर्व बैंक ने इस योजना का पायलट परीक्षण किया।

वहीं, अमेरिकी थिंक टैंक अटलांटिक काउंसिल के अनुसार दुनिया के दस देशों के केंद्रीय बैंक ने डिजिटल करंसी (सीबीडीसी) का पूर्ण इस्तेमाल शुरू कर दिया है। इसमें बहामास, नाइजीरिया, एंटीगुआ, डॉमनिका, ग्रेनेडा, मॉन्टस्ट्रीट, सेंट किट्स, सेंट लुसिया, सेंट विंसेंट और ग्रेनडाइन्स जैसे कैरेबियाई देश शामिल हैं। वहीं 109 देश इसे लागू करने की तैयारी में हैं या पायलट प्रोजेक्ट के तहत इसपर काम कर रहे हैं। सेंट्रल बैंक ऑफ द बहामास अक्तूबर 2020 में दुनिया का पहला केंद्रीय बैंक बन गया जिसने सीबीडीसी को लॉन्च किया।

नोटों की छपाई लागत खत्म होगी

आरबीआई के अनुसार देश में 100 रुपये के एक नोट को छापने पर 15 से 17 रुपये की लागत आती है। एक नोट करीब चार साल तक चल पाता है। इसके बाद केंद्रीय बैंक को दोबारा नोट छापने पड़ते हैं, जिस पर हजारों करोड़ रुपये की लागत आती है। आरबीआई ने वित्त वर्ष 2021-22 में 4.19 लाख अतिरिक्त नोट छापे थे जिसके जिए उसे हजारों करोड़ रुपये खर्च करने पड़े थे। डिजिटल करंसी का चलन बढ़ने के साथ ये लागत लगभग खत्म हो जाएगी।

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