प्राकृतिक रूप से ऐसे बनते हैं हीरे, जानिए धरती की कितनी गहराई में पाएं जाते है

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Procedure of making Heera : हीरा, जो आज के समय में स्टेटस सिम्बल बन गया है। दुनिया भर में बेशकीमती हीरों की मांग दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रहीं है। हीरा, पृथ्वी की इतनी ज्यादा गहराइयों में पाए जाते हैं जहां इंसान की पहुंच नामुमकिन है। ज्यादातर लोग ये ही जानते है कि ये चमकीला पत्थर कोयले की खदानों में उच्च दबाव से बनता है लेकिन असल में हीरे के प्राकृतिक रूप से बनने की कहानी बहुत अलग है।

इतनी गहराई में मिलते है हीरे

हीरा पृथ्वी की गहराई में लगभग 150 से 200 किलोमीटर की गहराई में मिलते हैं। हीरे, मैग्मा के जरिए पृथ्वी की सतह पर ज्वालामुखी उत्सर्जन से पहुंचते हैं और किंबरलाइट जैसी चट्टानों के अंदर जम जाते हैं। बता दें कि इंसान अभी तक पृथ्वी की गहराई में केवल 12 किलोमीटर तक ही पहुंच पाया है।

कैसे बनते है हीरे

हीरे, पृथ्वी की मेंटल परत में मौजूद कार्बन युक्त द्रव्य में विकसित होते हैं और जब वह मेंटल चट्टानों की दरारें के जरिए ऊपर की ओर आते है तब द्रव्य में दबाव और तापमान में बदलाव की वजह से कार्बन का क्रिस्टलीकरण होता है, जिससे द्रव्य ठोस होकर हीरे में बदल जाते हैं। वैज्ञानिकों के मुताबिक, प्राकृतिक रूप से हीरों के निर्माण में बहुत लम्बा समय लगता है, जो कि एक बड़े पैमाने की भूगर्भीय कालीन परिघटना है। इस प्रक्रिया में जलचक्र, कार्बन चक्र जैसी कई प्रक्रियाएं अरबों सालों तक अपना प्रभाव डालती है।

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ जानकारियों पर आधारित है। यहां यह बताना जरूरी है कि southblockdigital.com किसी भी तरह की जानकारी की पुष्टि नहीं करता है।

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