Delhi Excise Policy Scam: बुरे फंसे हैं मनीष सिसोदिया, 5 अप्रैल तक न्यायिक हिरासत में रहेंगे

manish sisodia

दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता मनीष सिसोदिया की मुश्किलों में कोई कमी नहीं आ रही बल्कि दिनों-दिन वो आबकारी नीति के मामले में फंसते जा रहे हैं। दिल्ली के पूर्व डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया को जोर का झटका तक लगा जब राउज एवेन्यू कोर्ट उनकी न्यायिक हिरासत को 5 अप्रैल तक के लिए आग कर दिया लेकिन फिर भी आज मनीष सिसोदिया को उम्मीद थी की राहत मिल जाएगी लेकिन कोर्ट ने जमानत देने से मना कर दिया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान मनीष सिसोदिया की तरफ से अपील की गई कि न्यायिक हिरासत के दौरान उन्हें कुछ धार्मिक और आध्यात्मिक किताबें रखने दिया जाए जिस पर कोर्ट ने इसके लिए उन्हें ऐप्लिकेशन देने को कहा। बता दें कि सिसोदिया की गिरफ्तारी 26 फरवरी को की गयी थी।

नहीं मिल रही सिसोदिया को राहत

दिल्ली की आबकारी नीति के केस में गिरफ्तार किए गए मनीष सिसोदिया को ईडी और सीबीआई की कस्टडी में रखा गया है जिसमें ईडी की कस्टडी का आखिरी दिन 22 मार्च था लेकिन अब यह समय और बढ़ा दिया गया है। कोर्ट में दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत बढ़ाई गई। ईडी की तरफ से कोर्ट ने कहा है कि मनीष सिसोदिया से पूछताछ पूरी हो गई है, उन्हें न्यायिक हिरासत में भेजा जाए। आगे पूछताछ की जरूरत हुई तो फिर से याचिका डाला जाएगा। इससे पहले मनीष सिसोदिया की न्यायिक हिरासत को सीबीआई कोर्ट ने 3 अप्रैल तक बढ़ाया था।

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मामले की बात करें तो पिछले साल 19 अगस्त को CBI ने मनीष सिसोदिया के साथ ही 15 लोगों के विरुद्ध FIR दर्ज की थी। जिसके तरह तत्कालीन एक्साइज कमिश्नर के साथ ही तीन अधिकारी, दो कंपनियां और नौ कारोबारी शामिल किए गए थे। बताया जाता है कि CBI ने दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार की एक रिपोर्ट को आधार बनाते हुए केस दर्ज कर लिया था।

दरअसल, दिल्ली के मुख्य सचिव नरेश कुमार ने 8 जुलाई 2022 को उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना के साथ ही मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल, तब के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को एक रिपोर्ट भेजी थी जिसमें एक्साइज मंत्री रहे मनीष सिसोदिया पर नई आबकारी नीति उपराज्यपाल की मंजूरी के बिना ही बनाने का आरोप तो लगाया ही था साथ ही फर्जी तरीके से पैसा कमाने तक के आरोप भी लगाए थे।

रिपोर्ट कहती है कि कोरोना के समय लाइसेंस शुल्क माफी के लिए शराब विक्रेताओं ने दिल्ली सरकार से संपर्क किया। 28 दिसंबर से 27 जनवरी तक सरकार ने लाइसेंस शुल्क में 24.02% की छूट भी दे दी जिससे हुआ ये कि सरकारी खजाने को भारी भरकम 144.36 करोड़ रुपये का नुकसान झेलनी पड़ी थी।

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