मानगढ़ धाम राष्ट्रीय स्मारक घोषित, अशोक गहलोत ने की पीएम मोदी की जमकर तारीफ

PM MODI IN MAANGARH

राजस्थान के बांसवाड़ा जिले पहुंचे नरेन्द्र मोदी ने मानगढ़ धाम को राष्ट्रीय स्मारक घोषित कर दिया है। पीएम ने कहा कि गोविंद गुरू एक समाज सुधारक थे। वह एक स्वतंत्रता सेनानी तो थे ही साथ ही संत समाज को नई पहचान देने में भी उनका बड़ा योगदान था। आदिवासियों के नायक गोविंद गुरू को श्रद्धांजलि देने के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में यहां कई योजनाओं का उल्लेख भी किया साथ ही आदिवासियों को मुख्यधारा में जोड़ने के लिए प्रोत्साहित भी किया।

पीएम मोदी ने कहा कि हमारी आजादी में देश के आदिवासियों का अनूठा योगदान है। गुलामी के शुरुआती दौर से ही आदिवासी समाज ने गुलामी की जंजीरों को तोड़ने के लिए एकजुट होकर कई विद्रोह किये। पीएम ने कहा कि, संस्कृति से लेकर समाज में अहम योगदान के लिए आदिवासी समाज की जितनी भी तारीफ की जाए कम है। यहां प्रधानमंत्री ने आदिवासी समाज के उत्थान और विकास के लिए एकलव्य आदिवासी विद्यालयों का भी जिक्र किया। राजस्थान को रेल लाइन की सौगात देने की बात भी पीएम ने अपने भाषण में कही। साथ ही राजस्थान के टूरिज्म औऱ युवाओं के रोजगार के लिए कई योजनाओं की जिक्र पीएम ने करते नजर। गोविंद गुरू जी की याद में बने मानगढ़ धाम को लेकर पीएम ने ये भी कहा कि इस धाम को विश्वस्तर का बनाकर इसका विकास करेंगे। भारत सरकार और चार राज्य जिसमें राजस्थान, गुजरात, मध्य प्रदेश और उड़ीसा की सरकार मिलकर करें इसमें केन्द्र सरकार के सहयोग की बात भी पीएम ने कही।

पीएम ने कहा कि, गोविंद गुरु जैसे महान स्वतंत्रता सेनानी भारत की परंपराओं और आदर्शों के प्रतिनिधि थे। वह किसी रियासत के राजा नहीं थे लेकिन वह लाखों आदिवासियों के नायक थे। अपने जीवन में उन्होंने अपना परिवार खो दिया, लेकिन हौसला कभी नहीं खोया।

नरसंहार अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा

पीएम ने आगे कहा कि 17 नवंबर 1913 को मानगढ़ में जो नरसंहार हुआ वह अंग्रेजी हुकूमत की क्रूरता की पराकाष्ठा थी। दुनिया को गुलाम बनाने की सोच मानगढ़ की इस पहाड़ी पर अंग्रेजी हुकूमत ने 1500 से ज्यादा लोगों को घेरकर के उन्हें मौत के घाट उतारा था। दुर्भाग्य से आदिवासी समाज के इस बलिदान को इतिहास में जो जगह मिलनी चाहिए वह नहीं मिली। आज देश उस कमी को पूरा कर रहा है। भारत का अतीत, इतिहास, वर्तमान और भविष्य आदिवासी समाज के बिना पूरा नहीं होता है। हमारी आजादी की लड़ाई का पग-पग, इतिहास का पन्ना-पन्ना आदिवासी वीरता से भरा पड़ा है।

मोदी ने कहा, ‘गोविंद गुरु का वो चिंतन, वो बोध, आज भी उनकी धुनी के रूप में, मानगढ़ धाम में अखंड रूप से प्रकाशित हो रहा है। सम्प सभा के आदर्श, आज भी एकजुटता, प्रेम और भाईचारा की प्रेरणा दे रहे हैं। 1780 में संथाल में तिलका मांझी के नेतृत्व में दामिन संग्राम लड़ा गया। 1830-32 में बुधू भगत के नेतृत्व में देश लरका आंदोलन का गवाह बना। 1855 में आजादी की यही ज्वाला सिधु-कान्हू क्रांति के रूप में जल उठी। भगवान बिरसा मुंडा ने लाखों आदिवासियों में आजादी की ज्वाला प्रज्ज्वलित की।’

इस दौरान राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान और गुजरात के सीएम भूपेंद्र पटेल भी मौजूद रहे।

क्या बोले अशोक गहलोत?

इससे पहले राजस्थान की सीएम अशोक गहलोत ने पीएम नरेन्द्र मोदी की जमकर तारीफ की, उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री दुनिया के कई देश में जाते है तो बेहद सम्मान मिलता है और सम्मान क्यों मिलता है? क्योंकि मोदी जी उस देश के प्रधानमंत्री है जो गांधी का देश है, जहां लोकतंत्र की जड़े मजबूत है। उन्होंने कहा कि मानगढ़ धाम में जो इतिहास रचा गया है, वो देश के स्वर्णिम अक्षरों में लिखा गया है

आपको बताते चले कि, मानगढ़ ब्रिटिश शासनकाल के जघन्य नरसंहार का गवाह है। 17 नवंबर 1913 को अंग्रेजों ने अचानक निहत्थे आदिवासियों पर फायरिंग कर दी थी। उस वक्त, हजारों आदिवासी मानगढ़ पहाड़ी पर गुरु गोविंद की सभा में जुटे थे। तभी ब्रिटिश सैनिकों ने चारों ओर से घेरकर अचानक फायरिंग शुरू कर दी। बताया जाता है कि इस नरसंहार में करीब 1500 आदिवासियों की हत्या कर दी गई थी

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