जानिए कितनी घरेलू प्रजातियां है मिर्च की, शोध में आया सामने…

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Chili History : दुनिया के हर एक घर में रोजाना भोजन में मिर्च का सेवन किया जाता हैं। खाने में तीखापन लाने के लिए इसका उपयोग किया जाता है। पिछले कई सालों से मिर्च पर शोधकर्ता कई शोध कर रहें थे, जिसमें उन्होंने पाया कि वर्ष 1492 में मिर्च के बारे में दुनिया के अधिकांश लोगों को पता ही नहीं था। लेकिन वैश्विक बाजार में अब, सालाना 30 लाख टन से ज्यादा की मिर्च का उत्पादन किया जा रहा है।

मिर्च की पाई जाती है इतनी घरेलू प्रजातियां

बता दें कि एक फाईलोजेनेटिक विश्लेषण में पता चला है कि मिर्च का संबंध पश्चिमी से उत्तर-पश्चिमी दक्षिण अमेरिका के एंडीज के एक क्षेत्र से है। पहले मिर्च जंगली, छोटे लाल, गोल, बेरी जैसे फल की तरह दिखती थी। सबसे पहले इसे भोजन में, मेक्सिको या उत्तरी मध्य अमेरिका में 6,000 साल पहले इस्तेमाल में लाया गया। जिसके बाद 16वीं शताब्दी में ये यूरोप पहुंची और धीरे-धीरे इसका सेवन भोजन में किया जाने लगा। वर्तमान में, मिर्च की पांच घरेलू प्रजातियां पाई जाती हैं। जिसमें कैप्सिकम एनम, सी चिनेंस, सी फ्रूटसेन्स, सी बैकाटम और सी प्यूब्सेंस ही खाने योग्य हैं। भारत में सबसे ज्यादा मिर्च की सी.एन्युम की प्रजाति पाई जाती है, जिनमें न्यू मैक्सिकन जलपीनो और बेल मिर्च शामिल है।

कौन सी मिर्च हैं सबसे तीखी

मिर्च भी कई किस्मों की होती हैं और उनका तीखापन भी अलग-अलग होता है। वर्ष 1912 में फार्मासिस्ट विल्बर स्कोविल ने मिर्च के तीखेपन को मापने के लिए एक पैमाना भी बनाया था। स्कोविल ने अपनी रिसर्च में पाया कि यह पैमाना मिर्च खाने वाले लोगों के द्वारा अनुभव की जाने वाली कैप्साइसिनोइड संवेदनशीलता पर आधारित है। अब तक दुनिया की सबसे तीखी मिर्च कैरोलिना रीपर हैं, जिसका तीखापन लगभग 22 लाख यूनिट तक का है। इसके अलावा बीयर स्प्रे का तीखापन 33 लाख यूनिट है। इसके अलावा शुद्ध कैप्साइसिन स्कोविल का तीखापन 16 लाख तक के होने का अनुमान है।

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