पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब देने के लिए भारत के पास है न्यूक्लियर ट्रायड, परमाणु हमले के समय कैसे करेगा काम जान लीजिए

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भारत ने बंगाल की खाड़ी में अपनी परमाणु पनडुब्बी से बैलिस्टिक मिसाइल का टेस्ट किया है। रक्षा मंत्रालय ने स्पष्ट रूप से इसके सफल टेस्ट की घोषणा की है। माना जा रहा है कि पनडुब्बी से K-15 मिसाइल को दागा गया जिसकी मारक क्षमता 700 किमी से ज्यादा है। सबसे बड़ी बात यह भारत के न्यूक्लियर ट्रायड को पूरा करता है।

भारत ने अपनी न्यूक्लियर सबमरीन INS अरिहंत से परमाणु हथियार ले जाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइल (SLBM) का सफलतापूर्वक टेस्ट किया तो देश के न्यूक्लियर ट्रायड की चर्चा होने लगी। रक्षा मंत्रालय ने टेस्ट की घोषणा तो की लेकिन मिसाइल के बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी और न ही रेंज का खुलासा किया। सूत्रों ने बताया है कि यह K-15 मिसाइल हो सकती है जिसे सागरिका भी कहते हैं। यह SLBM की ‘K’ फैमिली से ताल्लुक रखती है। ऐसे में दो महत्वपूर्ण चीजों के बारे में जानना महत्वपूर्ण हो जाता है। न्यूक्लियर ट्रायड क्या होता है और के-15 मिसाइल कितनी पावरफुल है।

न्यूक्लियर ट्रायड क्या है और क्यों जरूरी?

हम अक्सर परमाणु बम के बारे में पढ़ते या सुनते रहते हैं। पिछले दिनों खबर आई थी कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन यूक्रेन पर परमाणु हमला कर सकते हैं। कुछ घंटे पहले ही अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने पाकिस्तान को खतरनाक देश कहते हुए कहा कि उसके पास बिना किसी कंट्रोल के परमाणु हथियार हैं। दुनिया में इस समय 7 देशों के पास घोषित रूप से परमाणु हथियार हैं। ऐसे में अगर दो परमाणु संपन्न देशों के बीच जंग छिड़ती है तो इस बात की आशंका रहेगी कि कोई देश जंग के मैदान में कमजोर पड़ा तो परमाणु हमला कर सकता है।

भारत और पाकिस्तान का ही उदाहरण लें तो भारत की नीति स्पष्ट है कि वह किसी भी देश पर पहले परमाणु हमला नहीं करेगा लेकिन अगर दुश्मन ने किया तो फिर दुनिया के नक्शे से मुल्क का नामोनिशान मिटाकर दम लेगा। पाकिस्तान का कोई भरोसा नहीं है इसलिए भारत ने न्यूक्लियर ट्रायड तैयार किया है। अगर पड़ोसी मुल्क परमाणु हमला करता है और उसे पता है कि भारत भी जवाब में परमाणु हथियार दागेगा यानी उसकी तबाही निश्चित है। हो सकता है पाकिस्तान सोचे कि भारत की सरजमीं पर इतने परमाणु बम गिराए जाएं कि यहां की सेना और सरकार हमला करने की स्थिति में ही न रहे।

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ऐसे में भारत क्या करेगा? यहीं पर शुरू होता है न्यूक्लियर ट्रायड का रोल। भारत ने जंग के तीनों मैदानों की तैयारी कर रखी है। जी हां, 2003 में न्यूक्लियर कमांड अथॉरिटी गठित की गई थी। इसकी पॉलिटिकल काउंसिल के अध्यक्ष प्रधानमंत्री होते हैं, जो परमाणु हथियारों के इस्तेमाल की मंजूरी दे सकते हैं। इसी साल परमाणु शस्त्रागार को संभालने के लिए स्ट्रैटिजिक फोर्सेज कमांड (SFC) की स्थापना भी की गई थी। अब समझिए कि अगर पाकिस्तान ने भारत की सरजमीं को टारगेट किया तो देश की परमाणु बम से लैस मिसाइलें और फाइटर जेट उसके मंसूबों पर पानी फेर देंगे। जमीन के अलावा भारत के पास समंदर और आसमान से परमाणु हमला करने की भी ताकत है।

यहां पर तीनों सेनाओं की जरूरत समझी जा सकती है। जमीन के अलावा पनडुब्बियों और प्लेन से परमाणु हथियार दागे जा सकते हैं। युद्धपोत को तो दुश्मन टारगेट कर सकते हैं लेकिन गहरे समंदर में मौजूद सबमरीन को ढूंढना आसान नहीं होगा। इसी तरह आईएनएस अरिहंत ने परमाणु हथियार ले जा सकने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का सफल टेस्ट किया है।

सबसे महत्वपूर्ण बात न्यूक्लियर डिटरेंस है। भारत ने 24 घंटे पहले बंगाल की खाड़ी में पनडुब्बी से दागी गई मिसाइल का टेस्ट कर दुश्मनों को संदेश दिया है कि देश का न्यूक्लियर ट्रायड पूरी तरह से ऐक्टिव है। यानी अगर पाकिस्तान या किसी दूसरे मुल्क ने परमाणु अटैक करने की सोची तो उसे यह डर हमेशा बना रहेगा कि समंदर में मौजूद भारत की पनडुब्बी जवाबी हमला कर सकती है। इस खौफ से वह भारत पर ऐटमी अटैक के बारे में कभी सोचेगा भी नहीं। दरअसल थल, जल, आकाश तीनों जगहों से परमाणु हमले की ताकत जुटाना ही वह सामर्थ्य है जिसके कारण परमाणु हथियार का इस्तेमाल करने की नौबत नहीं आती है।

भारत की न्यूक्लियर ट्रायड जान लीजिए

जमीनी ताकत-

पृथ्वी-II मिसाइल यानी 350 किमी तक दुश्मन साफ

अग्नि-I 700 किमी तक मचा सकती है खलबली

अग्नि-II 2,000 किमी है मारक क्षमता

अग्नि-III 3,000 किमी दूर बैठा दुश्मन भी कांपेगा

अग्नि-V 5,000 किमी तक वार करने पर चल रहा काम

हवाई ताकत

सुखोई-30MKI, मिराज-2000 और जगुआर फाइटर्स और राफेल लड़ाकू विमान परमाणु ग्रैविटी बम दाग सकते हैं।

और समंदर में

भारत के पास परमाणु हथियारों से लैस मिसाइल को दागने में सक्षम 6,000 टन वजनी आईएनएस अरिहंत सबमरीन है। नवंबर 2018 में यह पूरी तरह ऑपरेशनल हो गई। यह K-15 परमाणु मिसाइलों से लैस है जो 750 किमी तक मार कर सकती है।

K-15 सागरिका

के-15 पनडुब्बी से छोड़ी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल है। इसे अरिहंत न्यूक्लियर पनडुब्बी में तैनात किया गया है। 14 अक्टूबर को इसी के टेस्ट की बात कही जा रही है। सागरिका या के-15 पनडुब्बी से दागी जाने वाली बैलिस्टिक मिसाइल होती है। इसकी मारक क्षमता 750 किमी से कहीं ज्यादा हो सकती है। एक रिपोर्ट के मुताबिक यह 500-800 किग्रा वॉरहेड ले जा सकती है।

अब तक सागरिका मिसाइल के टेस्ट समंदर के अंदर रखे गए पोंटून से किए जा रहे थे। लेकिन शुक्रवार का टेस्ट सबमरीन से किया गया है। इसके साथ ही भारत ने अपनी त्रिआयामी परमाणु प्रतिरोधक क्षमता यानी न्यूक्लियर ट्रायड हासिल करने का सबूत एक बार फिर दे दिया है। इसके अलावा जमीन और लड़ाकू विमान से परमाणु बम गिराने की क्षमता भारत पहले ही विकसित कर चुका है। सागरिका मिसाइल DRDO ने विकसित की है। यह 10 मीटर लंबी होती है। अरिहंत में ऐसी 12 से ज्यादा मिसाइलें तैनात रह सकती हैं।

कलाम कनेक्शन

K-फैमिली की मिसाइल का कोडनेम एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर रखा गया है। चूंकि इस मिसाइल को सबमरीन से लॉन्च करने के लिए डिजाइन किया गया है तो यह हल्की, कॉम्पैक्ट और स्टील्थ टेक्नॉलजी से लैस है यानी दुश्मन इसकी निगरानी नहीं कर पाएंगे। भारत ने इसी फैमिली की K-4 मिसाइलों का भी सफलतापूर्वक टेस्ट किया है जिसकी मारक क्षमता 3,500 किमी है। खबर है कि K-फैमिली की 5,000 किमी और 6,000 किमी की रेंज वाली के-5 और के-6 कोड नेम वाली मिसाइलों पर काम चल रहा है।

परमाणु बम की बात चली है तो यह भी जान लीजिए कि सबसे ज्यादा न्यूक्लियर बम रूस (6,257) के पास हैं, उसके बाद अमेरिका (5,550) है। पाकिस्तान के पास 165 और भारत के पास 156 ऐटम बम हैं। यूके के पास 225, फ्रांस 290, इजरायल के पास 90, चीन के पास 350 और नॉर्थ कोरिया के पास शायद 40-50 परमाणु बम हो सकते हैं।

स्त्रोत : न्यूज़ वेबसाइट और अन्य

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