क्या है सेंगोल, जिसके इतिहास से आज तक हमें रखा गया दूर! अब नए संसद भवन में होगी इसकी स्थापना

sengol amit shah

28 मई को नए संसद भवन का उद्घाटन होने वाला हैं। हालांकि इससे पहले उद्घाटन समारोह को लेकर सरकार और विपक्ष के बीच सियासी जंग छिड़ी हुई है। दरअसल, राष्ट्रपति के हाथों संसद भवन का उद्घाटन नहीं कराने और उन्हें समारोह में आमंत्रित नहीं करने को लेकर विपक्ष सरकार पर हमलावर है। इस वजह से 19 विपक्षी दलों ने उद्घाटन समारोह का बहिष्कार करने का भी ऐलान कर दिया। एक तरफ विपक्ष ने नए संसद भवन को लेकर बॉयकॉट-बॉयकॉट का खेल शुरू कर दिया, तो दूसरी ओर इस बीच केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने नए संसद भवन को लेकर बड़ा ऐलान किया है।

नए संसद भवन में स्थापित किया जाएगा सेंगोल

बुधवार को गृह मंत्री अमित शाह ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि नई संसद के उद्घाटन के अवसर पर ऐतिहासिक परंपरा पुनर्जीवित होगी। उन्होंने बताया कि नई संसद में सेंगोल (राजदंड) को स्थापित किया जाएगा। शाह ने बताया कि इसके पीछे युगों से जुड़ी एक परंपरा है। इसे तमिल में सेंगोल कहा जाता है। इसका अर्थ संपदा से संपन्न और ऐतिहासिक है।

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उन्होंने कहा कि 14 अगस्त 1947 को एक अनोखी घटना हुई थी। इसके 75 साल बाद भी देश के अधिकांश नागरिकों को इसकी जानकारी नहीं है। सेंगोल ने हमारे इतिहास में एक अहम भूमिका निभाई थी। ये सत्ता के हस्तांतरण का प्रतीक बना था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जब इसकी मिली, तो उन्होंने इसकी गहन जांच करवाई। फिर फैसला लिया गया कि इसे देश के सामने रखना चाहिए। इसके लिए नए संसद भवन के लोकार्पण के दिन को चुना गया।

चोल वंश से जुड़ा है सेंगोल

शाह ने बताया कि सेगोंल का इस्तेमाल 14 अगस्त, 1947 को पीएम जवाहर लाल नेहरू ने किया था, जब अंग्रेजों से सत्ता का हस्तांतरण हुआ था। ये चोल साम्राज्‍य से संबंध रखता है और इस पर नंदी भी विराजमान हैं। ये भारत के इतिहास के लिए बेहद महत्‍वपूर्ण रखता है। तमिलनाडु से आए विद्वान पीएम को ये सिंगोल भेंट करेंगे। आपको बता दें कि पहले सेंगोल प्रयागराज के म्यूजियम में रखा था। वहीं अब इसे नई संसद भवन में स्पीकर की सीट के ठीक बगल में इसे स्थापित किया जाएगा।

इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह ने ये भी बताया कि नए संसद भवन को बनाने वाले श्रमयोगियों को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सम्मानित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी 28 मई को संसद का नवनिर्मित भवन राष्ट्र को समर्पित करेंगे। इस नई संचरना को रिकॉर्ड समय में बनाने के लिए करीब 60,000 श्रमयोगियों ने अपना योगदान दिया है। इस अवसर पर पीएम सभी श्रमयोगियों का सम्मान भी करेंगे।

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