महाराष्ट्र-कर्नाटक सीमा विवाद पर एकनाथ शिंदे का बयान, कहा- ना करें राजनीति

Eknath Shinde blog

कर्नाटक-महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद को लेकर जहां मुश्किल हालात खड़े हो चुके हैं। तो वहीं इस मुद्दे को लगातार गहमागहमी भी बनी हुई। महाराष्ट्र में विपक्ष ने इस मामले पर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है। आज विधानसभा का शीतकालीन सत्र शुरू होते ही सीएम एकनाथ शिंदे ने कर्नाटक-महाराष्ट्र सीमा मुद्दे को लेकर बड़ा बयान दिया है। उन्होंने कहा है कि, पहली बार, केंद्रीय गृह मंत्री ने अंतर्राज्यीय सीमा (महाराष्ट्र और कर्नाटक) को लेकर विवाद चल रहा है उसके बीच मध्यस्थता आई है। इस मुद्दे को लेकर लागातार राजनीति की जा रही है। हमें सीमावर्ती निवासियों के साथ एक साथ खड़ा होना चाहिए।

जानें बैठक के बाद शाह ने क्या कहा था?

गौरतलब, है कि महाराष्ट्र और कर्नाटक सीमा विवाद को लेकर गृह मंत्री अमित शाह ने बैठक की थी, जिसमें महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे, डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस, कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई और कर्नाटक के गृह मंत्री अरागा ज्ञानेंद्र शामिल हुए थे। बैठक के बाद केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के बीच सीमा विवाद खड़ा हुआ है, जिसके समाधान को लेकर मैंने महाराष्ट्र CM और उप मुख्यमंत्री और कर्नाटक CM, गृह मंत्री और वरिष्ठ साथियों को यहां बुलाया था।

दोनों पक्षों से हुई शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत खत्म

दोनों पक्षों के साथ शांतिपूर्ण तरीके से बातचीत समाप्त हुई। अमित शाह ने कहा था कि जब तक सुप्रीम कोर्ट किसी तरह का फैसला नहीं सुनाता है, तब तक कोई भी राज्य इस बारे में एक-दूसरे राज्य पर दावा नहीं करेगा। दोनों तरफ से 3-3 मंत्री बैठेंगे और इस पर चर्चा करेंगे। दोनों राज्यों के बीच और मुद्दे भी हैं, इनका निवारण भी ये मंत्री करेंगे।

सर्वोच्च न्यायालय के फैंसले का इंतजार

बैठक के दौरान शाह ने यह भी कहां कि मैं ”विपक्षी दलों महाराष्ट्र और कर्नाटक से इस मुद्दे का राजनीतिकरण ना करने का आग्रह करता हूं। इन मामलों को हल करने के लिए गठित समिति की चर्चाओं के परिणाम और सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतीक्षा करनी चाहिए। मुझे विश्वास है कि एनसीपी और कांग्रेस उद्धव ठाकरे समूह सहयोग करेंगे।

जानिए 2 राज्यों के बीच का सीमा विवाद

महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच बेलगावी व कारवार के कुछ गांवों को लेकर सीमा विवाद चल रहा है। कर्नाटक में आने वाले इन गांवों की आबादी मराठी भाषी है। महाराष्ट्र में लंबे समय से इन गांवों को राज्य में शामिल किए जाने की मांग भी उठ रही है। 1960 में महाराष्ट्र की स्थापना के बाद से यह विवाद सुप्रीम कोर्ट में अपनी बारी की प्रतिक्षा कर रहा है।

क्या बोले सीएम बोम्मई

कर्नाटक सीएम बसवराज बोम्मई का कहना है कि कर्नाटक और महाराष्ट्र के लोगों के बीच बेहद ही सौहार्दपूर्ण संबंध बना हुआ है, दोनों ही पक्ष बेहद शांतिपूर्ण तरीके से रहते हैं। जिसे भंग करना सही नहीं। दोनों राज्यों से मंत्रियों की एक कमेटी बनाई गई है जो छोटे-छोटे मुद्दों को सुलझाने का काम करेगी।

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