Draupadi Pooja: इन जगहों पर की जाती है द्रौपदी की पूजा, इस देवी का अवतार मानी जाती हैं पांचाली

इन जगहों पर होती है द्रौपदी की पूजा

Draupadi Pooja: महाभारत की महिला नायिका या यूं कहें तो पांडवों के बाद सबसे महत्वपूर्ण किरदार द्रौपदी के बारे में तो आप सभी जानते ही होंगे। द्रौपदी के जन्म से लेकर उनका स्वयंवर, पांडवों से शादी, चीर हरण इत्यादि जैसी सभी कहानियों के बारे में तो आप सभी जानते होंगे, लेकिन क्या आपको पता है कि कुछ जगह ऐसे भी हैं, जहां द्रौपदी की पूजा की जाती है। जी हां, दक्षिण भारत के कुछ राज्यों जैसे आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिल नाडु में द्रौपदी की पूजा की जाती है। इतना ही नहीं, ये जानकर आपको और भी हैरानी होगी कि भारत में लगभग 400 से अधिक द्रौपदी के मंदिर भी हैं। और सिर्फ यहीं नहीं बल्कि श्रीलंका, मलेशिया, मॉरिशस, साउथ अफ्रीका जैसे देशों में भी द्रौपदी की पूजा की जाती है। भारत के अलावा इन देशों में भी द्रौपदी के भक्त मौजूद हैं।

इस अवतार में होती है द्रौपदी की पूजा

आपको बता दें कि कुछ खास समुदाय के लोग द्रौपदी को मां काली का अवतार मानते हैं और उन्हें द्रौपदी अम्मन के रूप में पूजते हैं। दरअसल, द्रौपदी अम्मन की पूजा ग्राम की देवी के रुप में की जाती है। रिपोर्ट्स की मानें तो मुख्यत: वन्नियार जाति के लोग द्रौपदी अम्मन की पूजा करते हैं यहां तक कि चित्तूर जिले के तिरुपति के दुर्गासमुद्रम गांव में द्रौपदी अम्मन का सलाना त्यौहार भी मनाया जाता है। आग पर चलना या थिमिथी द्रौपदी अम्मन मंदिरों में प्रचलित एक लोकप्रिय अनुष्ठान है।

 

इन समुदाय के लोग हैं द्रौपदी के भक्त

बेंगलुरू पीट नामक बेंगलुरू करागा के प्राचीन धार्मिक उत्सव में, द्रौपदी को नौ दिनों के आयोजन में आदिशक्ति और पार्वती के अवतार के रूप में पूजा जाता है। वहीं वन्नियार जाति के लोगों के अलावा कोनार और मुतलियार जाति के लोग भी द्रौपदी की पूजा करते हैं। तमिलनाडु के पिल्लई, वन्नियार, मुदलियार, कोनार और गौंडर समुदाय,  और कर्नाटक के तिगला समुदाय द्रौपदी अम्मन को आदि पराशक्ति का अवतार और अपने समुदायों की कुलदेवी मानते हैं।

Exit mobile version