दिल्ली HC ने Vivek Agnihotri को व्यक्तिगत पेश होने का आदेश दिया, जानें क्या है पूरा मामला?

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विवेक अग्निहोत्री एक प्रसिद्ध भारतीय फिल्ममेकर हैं, जिनके द्वारा निर्देशत ‘द कश्मीर फाइल्स’ फिल्म खूब सुर्खियों में छाई थीं। अब वहीं विवेक अग्निहोत्री विवादों में घिर गए हैं। दरअसल, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2018 के स्वत: संज्ञान अवमानना मामले में विवेक अग्निहोत्री को 10 अप्रैल को अदालत में पेश होने का आदेश दिया है।

जज के खिलाफ की थी टिप्पणी

आज 16 मार्च को दिल्ली हाई के न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति तलवंत सिंह की खंडपीठ फिल्म निर्देशक के खिलाफ मामले की सुनवाई कर रही थी। यह मामला जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ टिप्पणी से जुड़ा है, जिसमें उनके और कई अन्य लोगों के खिलाफ शुरू की गई 2018 की स्वत: संज्ञान आपराधिक अवमानना ​​कार्यवाही से संबंधित है।

2018 में, अग्निहोत्री ने कथित तौर पर उच्च न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश और उड़ीसा उच्च न्यायालय के वर्तमान मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति मुरलीधर के खिलाफ एक ट्वीट में पूर्वाग्रह का आरोप लगाया था। भीमा कोरेगांव मामले में न्यायाधीश ने कार्यकर्ता गौतम नवलखा के हाउस अरेस्ट और ट्रांजिट रिमांड के आदेश को रद्द कर दिया था।

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पिछले साल दिसंबर में अग्निहोत्री ने अपनी टिप्पणी के लिए अदालत के समक्ष “बिना शर्त माफी” मांगी थी, जिसके बाद अदालत ने उन्हें “व्यक्तिगत रूप से पश्चाताप दिखाने” के लिए उपस्थित रहने के लिए कहा था। उसकी ओर से कहा गया कि वह अस्वस्थ होने के कारण कोर्ट में पेश नहीं हो सके। वह वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए उपलब्ध थे।

आपको बता दें कि अदालत ने जस्टिस एस मुरलीधर के खिलाफ की गई टिप्पणी को लेकर साल 2018 में विवेक अग्निहोत्री सहित राइटर आनंद रंगनाथन और न्यूज पोर्टल स्वराज्य के खिलाफ अवमानना ​​​​कार्यवाही शुरू की थी.

एक अन्य आरोपी अवमाननाकर्ता आनंद रंगनाथन अन्य पक्षों के वकील ने अदालत को सूचित किया कि उनके मुवक्किल कार्यवाही में भाग लेने के इच्छुक हैं। वरिष्ठ एमिकस क्यूरी एडवोकेट अरविंद निगम ने तर्क दिया कि रंगनाथन ने ट्वीट किया है कि वह अपनी टिप्पणियों के लिए कभी माफी नहीं मांगेंगे। निगम ने अदालत को सूचित किया कि रंगनाथन ने कहा था कि वह कभी माफी नहीं मांगेंगे और वह अंत तक लड़ेंगे।

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