बिहार: छपरा शराब कांड में 42 नहीं 77 लोगों की मौत, मानवाधिकार आयोग ने नीतीश सरकार की खोली पोल

chhapra liquor case

छपरा जहरीली शराब कांड मामले को लेकर मानवाधिकार आयोग ने बड़ा खुलासा किया है। दरअसल, मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में जहरीली शराब के कहर का पर्दाफाश हो गया है। इस मामले को लेकर जिला प्रशासन जहां 42 लोगों की मौत की बात कर रही थी वहीं आयोग की रिपोर्ट में 77 लोगों की मौत की पुष्टि की गई है। इस रिपोर्ट ने पुलिस अधीक्षक से लेकर राज्य सरकार सबको सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया है। सारण के सांसद राजीव रूडी ने प्रेस विज्ञप्ति जारी करके बताया कि मानवाधिकार आयोग की एक रिपोर्ट में कुल 77 लोगों की मौत हुई जिसमें किसान, मजदूर, चाय बेचने वाले, फेरीवाले, ड्राइवर, दूधवाले और बेरोजगार शामिल थे।

75 फिसदी मृतक पिछड़ी जाति के थे

आपको बता दे कि, इस रिपोर्ट में ये साफ तौर पर कहा गया है कि मरने वालों में 75 फिसदी पिछड़ी जातियों से थे। इतना ही नहीं रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से बताया गया है कि जांच करने गई टीम को बिहार सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं प्राप्त हुई है। इसके अलावा रिपोर्ट में पटना HC की टिप्पणी का भी जिक्र है जिसमे कहा गया था कि राज्य सरकार ने राज्य में पूर्ण शराबबंदी कानून को लागू करने में असफलता हासिल की है।

मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट में साफ तौर पर बताया गया है कि पूर्ण शराबबंदी कानून के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी उत्पाद आयुक्त की होती है। वहीं जिले में ये जिम्मेदारी पुलिस अधीक्षक के सहयोग से जिलाधिकारी की है। इसमें भी सभी फेल हुए है। ऐसे में ये मौतें मानवाधिकार का मामला है।

आर्थिक स्थिति से कमजोर लोगों की अधिकतर मौत

रिपोर्ट में कहा गया है कि मरने वाले आर्थिक रूप में काफी ज्यादा कमजोर थे । ज्यादातर मरने वाले किसान, मजदूर, चाय बेचने वाला, फेरीवाला, दूधवाला, बेरोजगार अन्य थे। ये सभी लोग आर्थिक तौर पर पिछड़े थे और अपने परिवार को चलाने वाले एकमात्र सदस्य भी थे। जहरीली शराब के सेवन से 77 लोगों की मौत हुई जबकि कितने ही परिवार पूरी तरह से पिछड़ गए।

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