इस वजह से परशुराम जी ने काटा था अपनी मां का गला, जानिए कारण

Parshuram Katha

Parshuram Katha

Parshuram Katha : विष्णु जी के एक ऐसे भी अवतार थे, जो जन्म से तो ब्राह्मण थे लेकिन कर्म से पूरी तरह क्षत्रिय थे। भगवान परशुराम, कहने को तो ऋषि पुत्र थे पर धर्म के लिए उन्होंने हमेशा परशु ही उठाया था। माना जाता है कि शिव जी को अपना गुरु मानने के लिए उन्हें कई प्रयत्न करने पड़े थे। तमाम कोशिशों के बाद महादेव ने स्वयं, परशुराम जी को शास्त्र और शस्त्र की विद्या दी थी।

परशुराम, महर्षि जमदग्नि और माता रेणुका के पुत्र थे। उन्होंने सहस्त्रबाहु क्रूर क्षत्रिय राजा और लगभग इक्कीस बार दुष्ट और अत्याचारी राजाओं का वध किया था। हालांकि उहोंने एक बार अपनी माँ का भी वध किया था। आज हम आपको उसी वध के बारें में बताएंगे।

इस वजह से किया था अपनी माँ का वध

पौराणिक कथा के अनुसार, जब एक बार महर्षि जमदग्नि की पत्नी व परशुराम जी की माँ देवी रेणुका सरोवर में स्नान करने गई थी। उसी समय उसी सरोवर में राजा चित्ररथ नदी में सैर कर रहें थे। राजा को देखकर देवी के मन में एक भाव उत्पन्न हुआ। ये देख जमदग्नि ऋषि को बहुत ज्यादा क्रोध आया।

अपने क्रोध के कारण जमदग्नि ने अपने पुत्रों को देवी रेणुका का वध करने का आदेश दिया। माँ के मोह के कारण किसी भी पुत्र ने उनका वध करने से इंकार कर दिया। ये सुन महर्षि को और ज्यादा क्रोध आया और उन्होंने अपने सभी पुत्रों को उनकी बुद्धि विवेक से मर जाने का शाप दिया।

इसके बाद ऋषि ने देवी रेणुका के वध का आदेश परशुराम जी को दिया। पिता की आज्ञा का पालन करते हुए उन्होंने अपनी  माँ का सिर धड़ से अलग कर दिया। ये देख महर्षि जमदग्नि बहुत खुश हुए और उन्होंने अपने पुत्र परशुराम को तीन वरदान मांगने को कहा।

परशुराम जी ने अपने पिता को अपने तीन वरदान बताएं। पहला वरदान था, माँ रेणुका को फिर से जीवित करना, दूसरा था, सभी भाइयों की बुद्धि फिर से ठीक करना और तीसरा व आखिरी था, अपने लिए दीर्घायु और अजेय होने का। इस प्रकार पिता ने परशुराम जी के तीनों वरदान को माना और परशुराम जी हमेशा के लिए अमर और अजेय हो गए।

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