दिन में चलाता पंक्चर की दुकान, रात में छापता था जाली नोट…बीए पास नकली नोट छापने वाला गिरफ्तार

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एक व्यक्ति ने जल्द से जल्द अमीर बनने के चक्कर में खुद को मुसीबत में डाल लिया। दरअसल, वो व्यक्ति नकली नोट छापकर जल्द अमीर होने का सपना देखने लगा था, जो उसे भारी पड़ गया। क्योंकि पुलिस का शिंकजा उस पर कस चुका है। ग्रेटर नोएडा की बादलपुर पुलिस ने नकली नोट छापने वाले एक गिरोह का पर्दाफाश करते हुए एक आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। वह व्यक्ति बड़े ही शातिर तरीके से इसे अंजाम दे रहा था। दिन में वो पंक्चर की दुकान चलाता, तो वहीं रात में अपने साथी के साथ मिलकर नकली नोट छापता था।

नकली नोट लेकर गए थे जनरल स्टोर

इस मामले का भंडाफोड़ तब हुआ जब दो युवक दिल्ली से जाली नोटों की खेप लेकर ग्रेटर नोएडा के छपरौला में एक जनरल स्टोर पर गए। यहां से इन्होंने सामान खरीदा और बड़ी ही चालाकी से असली नोटों के बीच नकली नोट रखकर दुकानदार को देने लगे थे। इस पर दुकानदार को संदेह हो गया और उसने पुलिस को इसकी सूचना दे दी। पुलिस ने इस दौरान मौके पर पहुंचकर एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया, जबकि उसका साथी मौके से फरार होने में कामयाब हो गया।

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बिहार का रहने वाला है आरोपी

गिरफ्तार कर अब पुलिस ने आरोपी से पूछताछ की तो उसने बताया कि यूट्यूब और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से उसने नकली नोट छापना सीखा था। जानकारी के अनुसार आरोपी दिल्ली से नोटों के लिए इस्तेमाल होने वाले कागज को खरीदते थे और कलर प्रिंटर पर छापा करते थे। आरोपी के पास से पुलिस ने 38 हजार रुपये, कलर प्रिंटर के साथ नोट छापने के लिए उपयोग में आने वाले अन्य उपकरणों को बरामद किया है।

पुलिस के अनुसार आरोपी मूल रूप से बिहार के मुजफ्फरपुर का रहने वाला है। उसका नाम अब्दुल रकीब है। आरोपी अब्दुल ने बीए तक की पढ़ाई की। इसके बाद उसने नौकरी की काफी तलाश की। लेकिन जब नौकरी नहीं मिली तो वो दिल्ली आ गया और एक प्राइवेट कंपनी में मजदूरी का काम करने लग गया। दिल्ली में ही आरोपी की दोस्ती एक युवक से हो गई थी।

वहीं इस बीच देश में कोरोना महामारी ने दस्तक दे दी, जिसके बाद लॉकडाउन लगाने की नौबत आ गई थी। लॉकडाउन के चलते अब्दुल की नौकरी छूट गई। फिर वो दोबारा बिहार लौट गया। बिहार आकर अब्दुल फोटोस्टेट और कंप्यूटर की दुकान पर काम करने लगा और यही से उसने कलर प्रिंटर चलाने का काम सीख लिया।

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खोली थी पंक्चर की दुकान

लॉकडाउन खत्म होने के बाद अब्दुल वापस से दिल्ली आ गया। नौकरी नहीं मिलने पर अब्दुल ने घर के बाहर ही टायर पंक्चर की दुकान खोल ली। हालांकि पंक्चर की दुकान से खर्च निकलाना अब्दुल के लिए मुश्किल हो रहा था। फिर उसने अपने साथी के साथ मिलकर कमाई का एक ऐसा शॉर्ट निकाल लिया। दोनों ने यू-ट्यूब से नोट छापने का तरीका सीखा और फिर कलर प्रिंटर से नोट छापने लगे। किसी को शक न हो, इसके लिए अब्दुल दिन में टायर पंक्चर की दुकान चलाता था और रात में दोनों मिलकर नोट छापते थे।

बताया जाता है कि अब्दुल जब भी अपने रिश्तेदारों के साथ बाजार में कुछ सामान खरीदता या ऑटो में जाता तो इस दौरान वो नकली नोटों का इस्तेमाल करता। हालांकि दोनों केवल छोटे नोट जैसे 20, 50, सौ या 200 के नोट ही छापा करते थे। क्योंकि बड़े नोट को लोग अच्छे से चेक करते हैं। वो पकड़े न जाने इसलिए वो छोटे नोट ही छापा करते थे। दोनों एक साल से जाली नोट छापने का काम कर रहे हैं। हालांकि अब पुलिस ने अब्दुल को गिरफ्तार कर लिया है, वहीं उसका साथी अभी फरार है।

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