Amrish Puri : मुंहमांगी फीस ना मिलने पर फिल्म छोड़ दिया करते थे अमरीश पुरी, जानें कैसे बने हिंदी सिनेमा के सबसे खूंखार विलेन

Amrish Puri

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Amrish Puri: हिंदी सिनेमा के सबसे खूंखार विलेन की अगर गिनती की जाए, तो उसमें अमरीश पुरी का नाम टॉप पर लिया जाता है। आखिर उन्होंने हिंदी सिनेमा में विलेनगिरी की परिभाषा जो बदल दी थी। एक समय था जब हर एक डायरेक्टर अपनी फिल्म में सिर्फ और सिर्फ उन्हें ही विलेन के तौर पर लेना चाहते थे। हालांकि अमरीश पुरी भी कम ना थे। फिल्मों के किरदार में विलेन के तौर पर भले ही उन्हें कई बार समझौता करते देखा गया हो, लेकिन रियल लाइफ में वो अपने उसूलों के पक्के थे।

यहां तक कि वो अपनी बातों पर इतना अडिग रहते थे कि मुंहमांगी फीस न मिलने पर वो फिल्म तक छोड़ दिया करते थे। यहां तक कि अमरीश पुरी की आदत थी कि वो वीडियो-ऑडियो इंटरव्यू नहीं देते थे। कई मौकों पर उनकी फुटेज दिखती भी है तो वो सिर्फ शूटिंग के दौरान की।

 

अपनी आवाज रिकॉर्ड नहीं करने देते थे Amrish Puri

छोटे मोटे चैनल तो छोड़ों अमरीश साहब तो बड़े-बड़े अखबारों या मैगजीन को इंटरव्यू देते वक्त भी अपनी आवाज रिकॉर्ड नहीं करने देते थे। वो ऐसा इसलिए करते थे ताकि लोग उनकी आवाज को ज्यादा से ज्यादा फिल्मों में ही सुनें। उनका ये रूल बेहद ही अडिग था। ऐसे में इंटरव्यू लेने वालों से वो पहले ही साफ कह देते थे कि प्लीज, अपना रिकॉर्डर बंद कर लीजिए। वहीं जब मैगजीन से उन्हें इंटरव्यू के लिए फोन आता था, तो वो कहते थे कि अगर कवर स्टोरी में जगह मिलेगी तभी इंटरव्यू दूंगा। इन सब बातों से इतना तो साफ है कि अमरीश पूरी जो करते थे अपने शर्तों के मुताबिक करते थे।

 

मुंहमांगी फीस लेने पर कहते थे ये बात

यहां तक कि अमरीश पुरी से भी जब इस बारे में पूछा जाता था तो वो कहते थे – “जो मेरा हक है, वो मुझे मिलना चाहिए। मैं एक्टिंग के साथ कोई समझौता नहीं करता। तो फिल्म के लिए कम पैसा स्वीकार क्यों करूं। लोग मेरी एक्टिंग देखने आते हैं। प्रोड्यूसर्स को पैसा मिलता है, क्योंकि मैं फिल्म में होता हूं। तो क्या प्रोड्यूसर्स से मेरा चार्ज करना गलत है? जहां तक सिप्पी की फिल्म की बात है तो वह मैंने बहुत पहले साइन की थी। वादा था कि साल के अंत में फिल्म शुरू होगी। लेकिन तीन साल बीत चुके हैं। मार्केट का भाव बढ़ गया है। अगर वो मुझे उतना पैसा नहीं दे सकते तो मैं उनकी फिल्म नहीं कर सकता।”

मुश्किल में फंसे लोगों के लिए असली हीरो थे अमरीश पुरी

हालांकि भले ही वो फिल्म में किए गए रोल को लेकर अपने पैसों के लिए सख्त हो, लेकिन रियल लाइफ में वो असली हीरो थे। उन्होंने कई बार जरुरत में पड़े कई लोगों की मदद की थी। अमरीश साहब के साथ काम करने वाले लोगों की भी उन्होंने कई बार मदद की थी और उसका क्रेडिट तक लेना वो पसंद नहीं करते थे। मशहूर फिल्म डायरेक्टर श्याम बेनेगल ने एक इंटरव्यू में बताया था, “एक बार हमारे एक दोस्त और उसकी फैमिली का एक्सीडेंट हो गया। पत्नी सरवाइव कर गई, लेकिन दोस्त और उसका बेटा क्रिटिकल थे। हॉस्पिटल में उनके लिए रेयर ब्लड ग्रुप की जरूरत पड़ी, जो कि अमरीश का ग्रुप भी था।

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हमारे उस दोस्त से उनका कोई परिचय नहीं था। बावजूद इसके वो अस्पताल पहुंचे और डॉक्टर्स से बोले, ‘मैं ब्लड देना चाहता हूं, जितनी जरूरत हो ले लीजिए।’ दुर्भाग्य से दोस्त और उसका बेटा बचे नहीं। लेकिन बिना किसी के कहे अमरीश का ब्लड देना मुझे आज भी याद है।”

 

अमरीश पुरी के पॉजीटिव रोल को भी काफी पसंद किया करते थे फैंस

अमरीश पूरी ने अपने एक्टिंग करियर के दौरान विलेन वाले रोल तो किए ही किए, लेकिन इस बीच 90 के दशक में उन्होंने कई पॉजीटिव रोल भी किए, जो लोगों को काफी पसंद आया। कुछ फिल्ममेकर्स तो कहते थे कि उनके नेगेटिव रोल से ज्यादा लोग उनके पॉजिटिव रोल को पसंद किया करते थे। पुरी साहब अपने किरदार को इतनी सहजता से निभाते थे कि वो हर एक रोल में ढल जाया करते थे। यही कारण है कि आज उनके इस दुनिया को अलविदा कहने के बाद भी लोग उन्हें उनके किरदारों के लिए याद किया करते हैं। अमरीश पुरी भले ही आज हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन वो हमेशा अपने फैंस के दिलों में अमर रहेंगे।

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