2022 में भाद्रपद पूर्णिमा कब है?

Purnima

भाद्रपद पूर्णिमा व्रत मुहूर्त New Delhi, India के लिए

सितंबर 9, 2022 को 18:09:31 से पूर्णिमा आरम्भ
सितंबर 10, 2022 को 15:30:28 पर पूर्णिमा समाप्त
भाद्रपद पूर्णिमा व्रत पूजा विधि

धार्मिक मान्यता है कि भाद्रपद पूर्णिमा के दिन भगवान सत्यनारायण की पूजा करने से सारे कष्ट दूर हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि आती है। इस व्रत की पूजा विधि इस प्रकार है-

● पूर्णिमा के दिन प्रातः काल में उठ कर संकल्प ले और किसी नदी, तालाब या कुंड में स्नान करें।
● तत्पश्चात विधिवत रूप से भगवान् सत्य नारायण की आराधना कर, उन्हें नैवेद्य व फल-फूल अर्पित करें।
● पूजन के उपरान्त भगवन सत्य नारायण की कथा अवश्य सुने, इसके पश्चात भगवन श्री हरी को पंचामृत और चूरमे का प्रसाद वितरित करें।
● इस दिन किसी जरुरतमंद व्यक्ति या ब्राह्मण को दान देना चाहिए। इस दिन भागवत का दान अवश्य करें इस दान से आपके पुण्यों में वृद्धि होती हैं।

उमा-महेश्वर व्रत

भविष्यपुराण के अनुसार उमा महेश्वर व्रत मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को रखा जाता है लेकिन नारदपुराण के अनुसार यह व्रत भाद्रपद की पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। इसकी पूजा विधि इस प्रकार है-

● यह व्रत स्त्रियों के लिए विशेष महत्व रखता है। इस व्रत के प्रभाव से बुद्धिमान संतान, और सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
● घर में पूजा स्थान पर शिव और पार्वती जी की प्रतिमा को स्थापित करते हुए उनका ध्यान करना चाहिए।
● भगवान शिव और माता पार्वती के अर्धभगवती रूप का ध्यान करते हुए उन्हें धूप, दीप, गंध, फूल तथा शुद्ध घी का भोजन अर्पण करना चाहिए।

उमा-महेश्वर व्रत की कथा

इस व्रत का उल्लेख मत्स्य पुराण में मिलता है। कहा जाता है कि एक बार महर्षि दुर्वासा भगवान शंकर के दर्शन करके लौट रहे थे। रास्ते में उनकी भेंट भगवान विष्णु से हो गई। महर्षिने शंकर जी द्वारा दी गई विल्व पत्र की माला भगवान विष्णु को दे दी। भगवान विष्णु ने उस माला को स्वयं न पहनकर गरुड़ के गले में डाल दी। इससे महर्षि दुर्वासा क्रोधित होकर बोले कि ‘तुमने भगवान शंकर का अपमान किया है। इससे तुम्हारी लक्ष्मी चली जाएगी। क्षीर सागर से भी तुम्हे हाथ धोना पड़ेगा और शेषनाग भी तुम्हारी सहायता न कर सकेंगे।’ यह सुनकर भगवान विष्णु ने महर्षि दुर्वासा को प्रणाम कर मुक्त होने का उपाय पूछा। इस पर महर्षि दुर्वासा ने बताया कि उमा-महेश्वर का व्रत करो, तभी तुम्हें ये वस्तुएँ मिलेंगी। तब भगवान विष्णु ने यह व्रत किया और इसके प्रभाव से लक्ष्मी जी समेत समस्त शक्तियाँ भगवान विष्णु को पुनः मिल गईं।

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