2 June ki Roti : खुशनसीब होते है वो जिन्हें मिलती है ‘2 जून की रोटी’, इस कहावत का क्या है अर्थ?

2 June ki Roti

2 June Ki Roti : जून 2023 का महीना शुरू हो गया है और आज है 2 जून की तारीख। इस बीच हमेशा की तरह ही सोशल मीडिया पर “2 जून” ट्रेंड कर रहा है। लोग जमकर “2 जून” के मीम व जोक्स शेयर कर रहे हैं। शायद आपने भी ये कहावत सुनी होगी कि “दो जून की रोटी” (2 June ki Roti) किस्मत वाले लोगों को ही नसीब होती हैं, लेकिन ज्यादातर लोगों को इस कहावत का मतलब नहीं पता होता है। अगर आपको भी इस बारे में जानकारी नहीं है, तो आइए जानते हैं इसका रहस्य-

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क्या है कहावत का मतलब?

“बड़े नसीब वाले होते हैं वो लोग जिन्‍हें 2 जून की रोटी नसीब होती है…” इस कहावत का जून महीने से कोई लेना देना नहीं है। दरअसल, “2 जून” का मतलब होता है ‘दो वक्त’ और अवधी भाषा में, ‘जून’ का अर्थ होता है ‘समय’। ऐसे में “दो जून की रोटी” (2 June ki Roti) का मतलब हुआ कि आपको दिन में दो वक्त का खाना मिल रहा है। देखा जाए तो आज के समय में लोगों को जीवन जीने व पेट पालने के लिए ही सबसे ज्यादा जद्दोजहद करनी पड़ती है। पेट भरने के लिए व्यक्ति रोजाना दिन-रात मेहनत करता है। इसके बाद भी अगर किसी को “दो जून” अर्थात ‘दो वक्त’ का खाना नहीं मिल पाता है तो उसके लिए कहा जाता है कि मेहनत करने के बाद भी उसे “दो जून” यानी ‘दो वक्त’ का खाना नहीं मिला।

करोड़ों लोगों को नहीं मिल पाती ‘2 जून की रोटी’

देश में लोगों को भरपेट भोजन मिले इसके लिए सरकार तमाम योजनाओं को अमल में लाती है, लेकिन बावजूद इसके प्रतिदिन कई लोगों को “2 जून की रोटी” नहीं मिल पाती हैं। साल 2017 में हुए नेशनल फैमिली हेल्थ सर्वे के मुताबिक, पता चला है कि भारत में 19 करोड़ लोगों को ‘दो जून की रोटी’ (2 June ki Roti) नहीं मिल पाती हैं। हालांकि सरकार ने वैश्विक महामारी कोरोना काल में करोड़ों लोगों को मुफ्त राशन बांटा था ताकि लोगों को “दो जून की रोटी” मिल सके। सरकार की ओर से दावा किया जाता है कि इस योजना से लगभग 80 करोड़ लोगों को फायदा हुआ हैं।

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