चांद पर पहला कदम रखने वाले नील आर्मस्ट्रांग क्यों हो गए एकांतप्रिय

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चांद पर पहला कदम पृथ्वी मानव की अबतक की सबसे बड़ी पहली उपलब्धि है। इस कामयाबी के बाद पृथ्वी पर मानवजाति की दुनिया बदल गयी। इंसानों का तकनीक के साथ हाथ मिलाया और दुनिया को बदल कर रख दिया।

सैटलाइट के जरीये फोन लैंड लाइन से वायरलेस हो गया और आज सैटलाइट के माध्यम से हम एक जगह से दूसरी जगह बगैर किसी तार के यानी वायरलेस के तौर तरीके अपनाकर बात करते हैं। साथ ही वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरीये भी बात करने में सक्षम हैं।

यह सभी कुछ एक कदम चांद पर रखने के बाद ही हुआ। लेकिन क्या आप जानते हैं कि चांद पर पहला कदम रखने वाला नील आर्मस्ट्रांग का चांद पर कदम रखने के बाद क्या हुआ? नील आर्मस्ट्रांग वापस पृथ्वी पर वापस आए तो फिर उनका जीवन कैसे बीता?

चांद से वापस आने के बाद बदल गया जीवन

चांद पर उजाड़ और वीरान जमीन देखकर चांद पर गए ज्यादातर लोगों का जीवन भी वैसा ही हो गया। अभी तक चांद पर 12 लोगों ने कदम रखा है। लेकिन इनमें से ज्यादातर चंद्रयात्रियों का जीवन बदल गया। कोई डिप्रेशन में चला गया तो किसी का पत्नी से तलाक हो गया , कोई रहस्यवादी हो गया तो कोई एकांतवासी हो गया।

सबसे पहले चंद्रमा को छूने वाले यात्री नील आर्मस्ट्रांग की बात करते हैं—

20 जुलाई 1969 को 10 बजकर 56 मिनट पर अमेरिकी अंतरिक्ष यात्री नील आर्मस्ट्रांग ने चंद्रमा पर कदम रख कर इतिहास रच दिया।

16‌ जुलाई 1969 को नील आर्मस्ट्रांग, बज एल्ड्रिन और माइक कालिंस सुबह तड़के उठ गए थे, इन तीनों ने अंडे और गोश्त का नाश्ता किया। नाश्ता करने के बाद इन तीनों को कैप कैनेडी, फ्लोरिडा लाया गया जहां विशालकाय सैटर्न 5 राकेट चंद्रमा तक जाने के लिए तैयार था, अपोलो 11 अंतरिक्ष यान उस राकेट पर रखा हुआ था।

ठीक 9 बजकर 32 मिनट पर राकेट चंद्रमा की तरफ उड़ चला , राकेट 24,000 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चांद की ओर बढ़ रहा था। 3 दिन अंतरिक्ष की यात्रा करने के बाद तीनों अंतरिक्ष यात्री चांद की कक्षा में दाखिल हो गए । पृथ्वी से देखने पर चांद छोटा और सुंदर सा लगता है लेकिन नजदीक पहुंचने पर चांद काला और विशाल दिखाई देने लगा जिसे देखकर तीनों यात्रियों के रोंगटे खड़े हो गए।

चांद के कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित होने के बाद नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ईगल नामक छोटे से यान में सवार हुए और स्पेस सूट पहनकर चांद पर उतरने की तैयारी करने लगे। चांद की सतह पर जैसे ही यान बढ़ने लगा छोटी छोटी पहाड़ियां दिखने लगीं नील आर्मस्ट्रांग को लगा की ईगल यान इन पहाड़ियों से टकरा कर क्रैश हो जाएगा, लेकिन दोनों यात्रियों की किस्मत बुलंद थी और उनका यान नासा द्वारा निर्धारित स्थान से 50 किलोमीटर दूर ” शांति का महासागर” नामक स्थान पर उतरा।

चांद की सतह पर यान सफलतापूर्वक उतर चुका था, अब यान से सीढ़ियां निकल कर चांद की सतह से लग गई थी। सबसे पहले नील आर्मस्ट्रांग स्पेस सूट पहनकर यान से बाहर निकले। नील आर्मस्ट्रांग का दिल दोगुनी रफ्तार से धड़क रहा था। उनको लगा कहीं चांद पर पैर रखते ही चांद की सतह अंदर ना धंस जाए और वो वहीं दफ़न हो जाएं।

चांद पर कदम रखते ही नील आर्मस्ट्रांग ने नासा के कंट्रोल रूम को संदेश भेजा कि वो चांद पर सफलतापूर्वक पहुंच चुके हैं, चांद की सतह महीन पीसी हुई मिट्टी के समान थी जो बहुत फिसलन वाली थी। वहां दोनों चंद्रयात्रियों ने अपना रिसर्च करना शुरू कर दिया।

काफी देर तक नमूने इकट्ठे करने के बाद , झंडा और उपकरण स्थापित करने के बाद नील आर्मस्ट्रांग और बज एल्ड्रिन ईगल यान के अंदर आए। यान में आने के बाद दोनों यात्री बुरी तरह थक चुके थे, यान में आते ही उन्होंने कुछ नाश्ता किया और सो गए।

चांद की सतह पर दोनों लगभग 6 घंटे सोते रहे वहीं नासा कंट्रोल रूम परेशान हो रहा था। अमेरिका के राष्ट्रपति तो शोक संदेश वाला भाषण भी रट चुके थे। आखिरकार दोनों की नींद खुली तो वापस पृथ्वी पर चलने के लिए दोनों तैयार हुए, नील आर्मस्ट्रांग ने देखा कि ईगल यान को चलाने वाला स्विच टूटा हुआ है अगर यह सही नहीं होता तो वे दोनों चांद पर ही रह जाते। नील आर्मस्ट्रांग ने पेन की सहायता से स्विच को सही किया फिर उनका यान चांद की सतह से ऊपर उठकर माइकल कालिंस के यान से जुड़ गया।

चांद से लौटते ही नील आर्मस्ट्रांग बहुत प्रसिद्ध व्यक्ति बन गए, सारी दुनिया उनका इंटरव्यू लेने के लिए उनके पीछे पड़ गई। 45 दिनों के अंदर नील आर्मस्ट्रांग ने 24 देशों की यात्रा की और घूम घूमकर चंद्र यात्रा की बातें बताने लगे।

चांद से लौटने के बाद का जीवन—

नील आर्मस्ट्रांग एकांतप्रिय और कीर्ति से दूर रहने वाले व्यक्ति थे लेकिन प्रथम चंद्र यात्री होने के बाद ऐसा होना असम्भव था। नील आर्मस्ट्रांग ने विज्ञापन करना और समाचार पत्रों को इंटरव्यू देने से मना कर दिया।

शहर से दूर एकांत में नदी के किनारे उन्होंने शानदार घर बनवाया और अपने परिवार के साथ वहां रहने लगे। नासा ने 20 साल बाद एक कार्यक्रम किया लेकिन नील आर्मस्ट्रांग उस कार्यक्रम में शामिल नहीं हुए। शायद चांद के वीरान वातावरण ने नील आर्मस्ट्रांग को एकांतप्रिय बना दिया था।

Source— from science books and internet

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